buxar news : जिउतिया पर संशय खत्म, 14 को उपवास व 15 को होगा पारण
buxar news : शाहाबाद के विद्वान पंडितों की बैठक में पंचांग को आधार मानकर लिया गया निर्णय
डुमरांव. जिउतिया व्रत को लेकर दो तिथियों के भ्रम पर शनिवार को विद्वान पंडितों की बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से पंचांग के आधार पर निर्णय लिया गया कि 14 को व्रत रखा जायेगा, जबकि 15 को पारण होगा. हर साल अश्विनी माह में जिउतिया पर्व उत्साह एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन जीवितवाहन की पूजा-अर्चना करने का विधान है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस व्रत को माता अपने पुत्र की रक्षा, सुख, समृद्धि एवं वैभव के लिए करती हैं. हालांकि कभी-कभी जिउतिया व्रत की तिथि को लेकर व्रती संशय में पड़ जाती हैं. इस साल भी भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है. हालांकि इस भ्रम को दूर करने के लिए शनिवार को क्षेत्र के विद्वान पंडितों की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रकांड विद्वान पंडित लक्ष्मण दुबे (लहरी) तथा संचालन पंडित विमलेश ओझा ने किया. बैठक में शाहाबाद क्षेत्र के विद्वान पंडितों एवं प्रबुद्धजनों ने जिउतिया व्रत पर संशय तथा भ्रम को दूर करते हुए कहा कि कुछ तथाकथित पंडितों द्वारा हर साल जिउतिया व्रत पर व्रतियों के बीच संशय पैदा किया जाता है. इस साल भी पूर्व की तरह व्रतियों के बीच संदेह पैदा कर दिया गया है, जिससे आम लोगों द्वारा विद्वत समाज को शंका की दृष्टि से देखते हुए अभद्र भाषा का प्रयोग भी किया जा रहा है. पंडित दुबे ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सनातन धर्म में पंचांग का सबसे बड़ा महत्व माना गया है. हम लोग कोई भी शुभ कार्य हो अथवा पूजा-पाठ हो इसी पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त देखकर शुभारंभ करते हैं. उन्होंने कहा कि ऋषिकेश पंचांग, महावीर पंचांग इसके अलावा सभी पंचांगों में 14 सितंबर दिन रविवार को जिउतिया व्रत स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है और इसका पारण 15 सितंबर दिन सोमवार को प्रातः 6:26 बजे के बाद कभी भी किया जा सकता है. पं विमलेश ओझा ने जिउतिया व्रत करने वाली सभी व्रतियों से कहा कि किसी भी भ्रम में न पड़ें. व्रत 14 सितंबर, जबकि पारण 15 सितंबर दिन सोमवार को ही शुभ मुहूर्त में शास्त्रों के अनुसार करना उचित है. पंडितों और विद्वानों की बैठक में स्पष्ट किया गया है कि पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 14 सितंबर को प्रातः 5:04 बजे शुरू होगी. 15 सितंबर को देर रात 3:06 बजे तक रहेगी. इसलिए व्रत 14 सितंबर को रखा जायेगा और अगले दिन शुभ मुहूर्त में पारण किया जायेगा. बैठक में पं प्रोफेसर मुक्तेश्वर शास्त्री, पं पवित्र कुमार दुबे, पं अरुण चौबे, आचार्य धनजी चौबे, पं गणेशजी ओझा, पं अभयानंद पांडे, पं विजयानंद पांडेय, पं राधेश्याम दुबे, पं संजय ओझा, पं शत्रुंजय ओझा, पं कामता नाथ ओझा. पं रमेश चौबे, पं राधेश्याम पांडे, पं अभिरंजन दुबे, पं पवन द्विवेदी, पंडित शंभू जी, पं संस्कार उपाध्याय, पं गिरजानंदजी, पं विंध्याचल ओझा, पं संजीव मिश्रा, पं उग्रसेन मिश्रा, पं बिसेन मिश्रा, पं महादेव मिश्रा, पं दीपक सावंत, आचार्य सोमनाथ पाराशर के अलावा अन्य विद्वान पंडितों ने मिलकर यह निर्णय लिया.
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