Buxar News: लाल निशान से 17 सेमी ऊपर ठहरा गंगा का जलस्तर
गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार करने के बाद अब स्थिर हो गया है. जिससे जिले में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत मिलने की उम्मीद जग गई है
बक्सर. गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार करने के बाद अब स्थिर हो गया है. जिससे जिले में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत मिलने की उम्मीद जग गई है. शुक्रवार की सुबह 7 बजे 60.49 मीटर पर पहुंचकर जलस्तर में ठहराव आ गया है. जो खतरे के निशान 60.32 मीटर से 17 सेंटीमीटर ऊपर है. इधर जलस्तर में वृद्धि के कारण गंगा के तटवर्ती इलाके के निचले क्षेत्रों में तबाही शुरू हो गया है. दो दिन पूर्व बुधवार को गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु को पार कर लाल निशान से 25 सेंटीमीटर नीचे बह रहा था. जबकि गुरुवार की शाम 5 बजे गंगा का पानी 60.35 मीटर, यानि खतरे के निशान 60.32 मीटर से 3 सेमी ऊपर था और एक सेमी प्रति घंटे के हिसाब से जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही थी. परंतु शुक्रवार को तड़के 6 बजे से जलस्तर थम गया है. इससे पानी नीचे खिसकने की संभावना प्रबल हो गया है. केन्द्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार की पूर्वाह्न 8 बजे गंगा का जलस्तर 60.26 मीटर था, जो एक सेमी प्रति घंटे की गति से बढ़ते हुए अपराह्न 02 बजे खतरे के निशान 60.32 मीटर पर पहुंच गया था. जलस्तर में बढ़ोतरी से जन-जीवन प्रभावित खतरे के निशान से ऊपर जलस्तर में ठहराव भले ही हो गया है, लेकिन गंगा के तटीय इलाके के निचले क्षेत्रों में बाढ़ के पानी से जन जीवन प्रभावित हो गया है. नतीजा यह है कि शहर के रामरेखाघाट स्थित विवाह मंडप से होकर गंगा का धारा बह रहा है. वही चरित्रवन के श्मशानघाट स्थित मुक्ति धाम पानी में डूबने के कारण शवदाह के लिए जगह मिलना मुश्किल हो गया है. इसी तरह चौसा में कर्मनाशा के पानी से लोगों की परेशानी बढ़ गई है तो इटाढ़ी में ठोरा नदी के पानी से खेतों में खड़ी धान की फसल बर्बाद हो गई है. सिमरी, चक्की व ब्रह्मपुर प्रखंड के निचले इलाके में भी बाढ़ के पानी से फसलों की बर्बादी हुई है, जबकि कुछ जगहों पर आवागमन भी बाधित हुआ है. प्रशासनिक अलर्ट जारी बाढ़ की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है. प्रशासन द्वारा गंगा के जलस्तर पर बराबर नजर रखी जा रही है. गंगा का जलस्तर लाल निशान पार करने के बाद तटीय इलाके के निचले हिस्सों में पानी प्रवेश कर गया है.. गंगा के पानी का दबाव बढ़ने से सहायक नदियों में भी उफान आ गया है. जिसका नतीजा यह है कि ठोरा व कर्मनाशा समेत अन्य सहायक नदियों के तटवर्ती खेतों में खड़ी फसल डूब गई है. बक्सर-कोइलवर तटबंध की निगरानी बढ़ा दी गई है.
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