कृष्णाब्रह्म की मुख्य सड़क पर जलजमाव नाला निर्माण के बावजूद समस्या जस की तस
विडंबना यह है कि ग्रामीणों की लंबे समय से चली आ रही इस समस्या का समाधान करने के लिए सड़क किनारे नाला निर्माण कराया गया.
कृष्णाब्रह्म. कृष्णाब्रह्म की मुख्य सड़क इन दिनों जलजमाव की गंभीर समस्या से जूझ रही है. विडंबना यह है कि ग्रामीणों की लंबे समय से चली आ रही इस समस्या का समाधान करने के लिए सड़क किनारे नाला निर्माण कराया गया. उद्देश्य था कि घरों और दुकानों के नालियों का गंदा पानी सीधे नाले में समा जाये और सड़क पर गंदगी या जलभराव न हो. लेकिन हकीकत बिल्कुल उलटी साबित हुई. नाला बनने के बावजूद भी सड़क पर गंदा पानी बह रहा है और जगह-जगह जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है.
नाले में पानी नहीं, सड़क पर बह रहा गंदा पानी
ग्रामीणों का कहना है कि नाले का निर्माण सिर्फ कागजों में ही सफल दिख रहा है. सड़क किनारे नाला तो जरूर बना दिया गया, लेकिन उसकी संरचना और ढलान ऐसी नहीं है कि नालियों का पानी उसमें जा सके. नतीजा यह है कि बरसात के मौसम में या घरों से निकला गंदा पानी सीधे सड़क पर आ जाता है और बाजार की मुख्य सड़क तालाब जैसी नजर आने लगती है. एक ग्रामीण ने बताया हम लोग तो उम्मीद कर रहे थे कि नाला बनने के बाद जलजमाव से राहत मिलेगी. लेकिन पहले से ज्यादा परेशानी हो गयी है. पानी का बहाव सड़क पर ही है और नाले में सिर्फ नाम के लिए पानी दिखता है. ऐसा लगता है कि नाला बनाते समय तकनीकी पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया गया है.
बाजार की रौनक फीकी पड़ रहीकृष्णाब्रह्म बाजार की पहचान आसपास के गांवों के लिए जीवनरेखा जैसी रही है. सब्जी, किराना, कपड़ा, दवा, हार्डवेयर और रोजमर्रा की वस्तुएं यहीं से उपलब्ध होती है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से सड़क पर लगातार बने जलजमाव के कारण यहां आने वाले ग्राहकों की संख्या कम होने लगी है. खासकर महिलाएं और बुजुर्ग कीचड़ व गंदगी से बचने के लिए बाजार आने से परहेज कर रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि ग्राहकों की संख्या घटने से उनकी आय पर भारी असर पड़ा है.
स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा गंदे पानी के सड़क पर जमा रहने से न सिर्फ आवागमन में बाधा हो रही है, बल्कि यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है. जगह-जगह ठहरे पानी से मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है. डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है. बच्चे और महिलाएं अक्सर गंदे पानी में फिसल कर घायल हो जाते हैं. ग्रामीणों ने साफ कहा कि नाला निर्माण सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए कराया गया है. निर्माण के दौरान किसी भी इंजीनियर या अधिकारी ने यह सुनिश्चित नहीं किया कि नालियों का पानी सही ढंग से नाले में गिरेगा. यही कारण है कि नाला बनने के बाद भी समस्या जस की तस है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
