टुडीगंज स्टेशन का डाउन प्लेटफाॅर्म बना यात्रियों के लिए परेशानी का कारण
यात्रियों की सुविधा को लेकर केंद्र सरकार और रेलवे प्रशासन समय-समय पर कई योजनाओं की घोषणा करता है.
डुमरांव. यात्रियों की सुविधा को लेकर केंद्र सरकार और रेलवे प्रशासन समय-समय पर कई योजनाओं की घोषणा करता है. यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं देने के उद्देश्य से रेलवे स्टेशनों का पुनर्निर्माण, सौंदर्यीकरण और प्लेटफार्म विस्तार जैसे कार्य भी शुरू किए जाते हैं. लेकिन टुडीगंज रेलवे स्टेशन की हकीकत इन दावों के ठीक उलट नजर आती है. यहां का डाउन प्लेटफाॅर्म आज भी पक्कीकरण से वंचित है, जिसकी वजह से यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. असमान सतह से बढ़ा खतरा स्टेशन के डाउन प्लेटफाॅर्म की स्थिति यह है कि कहीं सतह ऊंची है तो कहीं नीची. यात्रियों के चढ़ने-उतरने के दौरान संतुलन बिगड़ने का डर हर समय बना रहता है. खासकर बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए यह प्लेटफार्म सुरक्षित नहीं कहा जा सकता. स्टेशन से गुजरने वाली यात्री गाड़ियों में रोजाना सैकड़ों लोग चढ़ते-उतरते हैं, लेकिन प्लेटफाॅर्म का असमान ढांचा हर किसी के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है. गिट्टियों का अंबार बना मुसीबत रेलवे लाइन की मरम्मत के दौरान कर्मचारियों द्वारा बदली गई गिट्टियों को प्लेटफाॅर्म पर ही डाल दिया गया है. इससे पहले से ही असमान प्लेटफाॅर्म और खतरनाक हो गया है. बरसात के दिनों में ये गिट्टियां फिसलन का कारण बनती है. यह गिट्टियां न केवल असुविधा पैदा करती हैं बल्कि कई बार हादसों की वजह भी बन सकती है. यात्रियों की परेशानी यात्रियों का कहना है कि पक्कीकरण नहीं होने से धूल, कीचड़ और गंदगी जैसी समस्याएं बनी रहती है. बरसात के मौसम में प्लेटफार्म पर पानी जमा हो जाता है, जिससे यात्रियों को चढ़ने-उतरने में कठिनाई होती है. वहीं, धूप में धूल उड़ने से आंख और गले की समस्या बढ़ जाती है. स्थानीय ग्रामीण और नियमित यात्रियों का कहना है कि स्टेशन पर ओवरब्रिज का निर्माण तो हो गया है, लेकिन प्लेटफार्म के बुनियादी ढांचे की ओर ध्यान नहीं दिया गया. ग्रामीणों का कहना है कि टुडीगंज स्टेशन डुमरांव और बक्सर के बीच एक महत्वपूर्ण स्टॉपेज है. यहां रोजाना बड़ी संख्या में छात्र, नौकरीपेशा और व्यापारी यात्रा करते है. ऐसे में प्लेटफार्म का सुरक्षित और समतल होना बहुत जरूरी है. आधुनिकीकरण की दौड़ में पीछे छूटता टुडीगंज यात्रियों का कहना है कि देशभर में रेलवे स्टेशनों को वर्ल्ड क्लास बनाने की बात हो रही है. एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन छोटे और ग्रामीण इलाके के स्टेशन आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. टुडीगंज स्टेशन इसका जीता-जागता उदाहरण है. न प्लेटफार्म समतल है, न ही यहां पर अधिक संख्या में शेड और बैठने की उचित व्यवस्था है. यात्रियों को खुले आसमान के नीचे धूप, बारिश और ठंडी हवाओं का सामना करना पड़ता है. हादसों की आशंका यात्री बताते हैं कि असमान प्लेटफाॅर्म यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. कई बार देखा गया है कि लोग ट्रेन से उतरते समय गड्ढे या ऊंचे हिस्से में पैर फिसलने से गिर जाते हैं. ऐसे हादसे गंभीर चोट का कारण बन सकते हैं. रेलवे कर्मियों द्वारा प्लेटफार्म पर गिट्टियां डाल देने से यह खतरा और बढ़ गया है.
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