मनरेगा योजना के भ्रष्ट्र कर्मियों से लेकर मुखिया तक से की जाएगी राशि की वसूली, देखें भ्रष्टाचार की सूची

भागलपुर के शाहकुंड प्रखंड में मनरेगा योजना में अनियमितता मामले में अब कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. बता दें कि वासुदेवपुर और वेल्थू पंचायत की कुल चार योजनाओं में अनियमितता की बात जांच में सामने आई थी.

By Prabhat Khabar Print Desk | August 31, 2022 4:24 AM

भागलपुर: शाहकुंड प्रखंड में मनरेगा योजना में अनियमितता मामले में अब कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. वासुदेवपुर और वेल्थू पंचायत की कुल चार योजनाओं में अनियमितता की बात जांच में सामने आने के बाद तत्कालीन मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी, सहायक अभियंता, लेखापाल, कनीय अभियंता, तकनीकी सहायक और दोनों पंचायत के मुखिया से स्पष्टीकरण मांगा गया था. स्पष्टीकरण का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर डीडीसी ने संबंधित लोगों से राशि वसूली का निर्देश दिया है.

इस खाते में जमा करायी जाएगी राशि

वसूली जानेवाली राशि स्टेट इंप्लायमेंट गारंटी फंड के खाते में जमा करायी जायेगी. शाहकुंड के कार्यक्रम पदाधिकारी को सात दिनों के अंदर संबंधित लोगों से वसूल कर सात दिनों के अंदर स्टेट इंप्लायमेंट गारंटी फंड के खाते में जमा कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. अनियमितता की शिकायत पर डीडीसी प्रतिभा रानी ने सदर अनुमंडल के अपर अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में जांच टीम का गठन किया था. जांच टीम में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी व सहायक अभियंता (मनरेगा) को शामिल किया गया था. जांच टीम ने अपनी जांच अनियमितता पायी थी.

इनसे राशि की होगी वसूली

  • धर्मेंद्र कुमार, तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा शाहकुंड : 243487

  • माधवानंद किशोर, तत्कालीन सहायक अभियंता : 26136

  • अजय कुमार सिंह, तत्कालीन लेखापाल : 26136

  • अमरेंद्र कुमार, तत्कालीन कनीय अभियंता : 243487तुषार कांत, तत्कालीन पंचायत तकनीकी सहायक : 243487

  • जयप्रकाश राम, तत्कालीन पंचायत रोजगार सेवक : 217351

  • श्यामसुंदर कुमार, तत्कालीन पंचायत रोजगार सेवक : 26136

  • कामोदा देवी, तत्कालीन मुखिया, वासुदेवपुर पंचायत : 217351

  • नवीन चंद्र सिंह, तत्कालीन मुखिया, वेल्थू पंचायत : 26136

क्या है मनरेगा योजना ?

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया. यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है, जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं.

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