पर्यटकों के स्वागत को वाल्मीकिनगर तैयार, आज से पर्यटन सीजन की होगी शुरुआत

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में माॅनसून सीजन के कारण पर्यटकों के आने पर रोक लगा दी गयी थी.

By SATISH KUMAR | October 22, 2025 6:05 PM

वाल्मीकिनगर. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में माॅनसून सीजन के कारण पर्यटकों के आने पर रोक लगा दी गयी थी. जिस कारण पर्यटन नगरी में सन्नाटा का आलम था. वन विभाग की ओर से 23 अक्तूबर 2025 से वन विभाग पर्यटन सीजन की पुन: शुरुआत किया रहा है. जिससे पर्यटक वाल्मीकिनगर की सुंदर वादियों में फिर भागम भाग की जिंदगी में सुकून भरे पल बिता पाएंगे. वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणी, डीएफओ वन प्रमंडल दो हरी झंडी दिखाकर पर्यटन सीजन की शुरुआत कर सकते हैं. ज्ञात हो कि भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली वाल्मीकिनगर जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है. वाल्मीकिनगर से सटे कल-कल कर बहती नारायणी गंडक की धारा से सटे पड़ोसी देश नेपाल में सिर उठाकर खड़े ऊंचे पहाड़ और चारों तरफ से वन और वृक्षों से घिरे वाल्मीकिनगर के टाइगर रिजर्व में निवास करने वाले शाकाहारी, मांसाहारी जीव जंतुओं के साथ विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों के अलावा वन क्षेत्र में प्राचीन काल से स्थापित आस्था के मुख्य केंद्र मंदिरों के अलावा वन विभाग द्वारा निर्मित सैलानियों के लिए बंबू हट, ट्री हट, कैनोपी वाक, गंडक नदी में राफ्टिंग, जंगल सफारी पूरी तरह सज धज कर पर्यटकों के स्वागत को तैयार है.

वनों, पहाड़ों और नदियों से घिरी हुई है वाल्मीकिनगर

बताते चलें कि वाल्मीकिनगर महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली के रूप में जानी जाती है. यह चारों तरफ से वनों, पहाड़ों और नदियों से घिरी हुई है और यह वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष के रूप में आज पूरी तरह देश में विख्यात है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र लगभग 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव जंतु के साथ विभिन्न प्रकार के पक्षियों की भरमार है. वहीं भारत-नेपाल दो देशों को जोड़ने वाली सेतु गंडक बराज में कुल 36 फाटकों में 18 वां फाटक पार करते ही यह अहसास सुखद लगता है कि हम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण नेपाल की पवित्र पावन धरती पर अपने कदमों को रख चुके हैं. वही वन क्षेत्र में प्राचीन काल से स्थापित मंदिर अपने दर्शन के लिए पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. गंडक बराज से सटे ऊंचे पहाड़ के साथ नारायणी नदी की कल-कल धारा के बीच नारायणी के पावन जल में सूर्योदय तथा सूर्यास्त का प्रतिबिंब बेहद अद्भुत नजारा प्रस्तुत करता है जो हृदय को छू जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है