जिले के 110 स्कूलों में बैठेंगे अब दो-दो एचएम, 1 से 8 और 9 से 12 तक के कक्षाओं की करेंगे देखरेख

शिक्षा विभाग ने पहली से 12वीं तक संचालित नव प्रोन्नत उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.

By SATISH KUMAR | December 10, 2025 5:55 PM

बेतिया. शिक्षा विभाग ने पहली से 12वीं तक संचालित नव प्रोन्नत उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. अब जिले के 110 ऐसे प्लस-टू स्कूल, जो एक ही कैंपस में पहली से 12वीं तक संचालित होते हैं, उन्हें दो अलग-अलग प्रबंधन के तहत संचालित किया जाएगा. यह निर्देश समग्र शिक्षा अभियान के तहत जारी किया गया है. नई व्यवस्था के अनुसार, प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय (कक्षा 1 से 8) और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 9 से 12) को दो अलग इकाइयों के रूप में संचालित किया जाएगा. इसके लिए दोनों स्तरों पर अलग-अलग प्रधानाध्यापक नियुक्त किए जाएंगे, जो अपने-अपने विद्यालयों का स्वतंत्र रूप से संचालन करेंगे. शिक्षा विभाग का मानना है कि अलग प्रबंधन होने से पठन-पाठन में ध्यान केंद्रित होगा, संचालन अधिक व्यवस्थित होगा और विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराया जा सकेगा. इस नयी संरचना के तहत शिक्षा विभाग ने एक ही कैंपस में संचालित सभी स्कूलों के लिए अलग-अलग यू-डायस कोड भी जारी कर दिए हैं. इसके बाद अब दोनों स्तर के विद्यालयों का डाटा, संचालन, मूल्यांकन व निरीक्षण अलग-अलग आधार पर किया जाएगा. जिला शिक्षा कार्यालय में एमआईएस संभाग के नोडल अधिकारी एवं एपीओ अरुण कुमार अकेला ने बताया कि यह व्यवस्था गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. उन्होंने कहा कि इस पहल की उच्च स्तरीय मॉनिटरिंग स्वयं बिहार शिक्षा परियोजना के निदेशक के स्तर से की जा रही है, ताकि इसे जमीन पर सफलतापूर्वक लागू किया जा सके. शिक्षा विभाग का मानना है कि वर्षों से एक ही कैंपस में सभी कक्षाओं के एक साथ संचालन से प्रशासनिक बोझ बढ़ जाता था और पठन-पाठन की गुणवत्ता प्रभावित होती थी. इसलिए अब दोनों स्कूलों के अलग-अलग संचालन से जिम्मेदारी स्पष्ट होगी और शिक्षकों व छात्रों दोनों को अधिक सुव्यवस्थित माहौल मिलेगा. नई व्यवस्था को लेकर स्कूलों में तैयारियां शुरू हो गई हैं और विभागीय स्तर पर भी इसके क्रियान्वयन की समीक्षा लगातार जारी है. उम्मीद की जा रही है कि यह पहल जिले में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

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