बाबू कुंवर सिंह प्रथम स्वाधीनता संग्राम के अमर नायक व प्रखर राष्ट्रप्रेम और अदम्य साहस के अन्यतम उदाहरण: प्रो रवींद्र
महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय परिसर में भारत मां के वीर सपूत, राष्ट्रनायक वीर कुंवर सिंह की जयंती समारोह के तौर पर मनाई गई.
बेतिया. महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय परिसर में भारत मां के वीर सपूत, राष्ट्रनायक वीर कुंवर सिंह की जयंती समारोह के तौर पर मनाई गई. सार्वजनिक अवकाश होने के बावजूद महाविद्यालय के प्राचार्य सहित आधे दर्जन प्राध्यापक, दर्जनों विद्यार्थी और कर्मियों ने श्रद्धांजलि सभा के रूप में आयोजित संगोष्ठी में भाग लिया.आयोजन की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रो. (डॉ) रवींद्र कुमार चौधरी ने कहा कि बाबू वीर कुंवर सिंह 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के अमर नायक रहे हैं. जीवन के चौथेपन में भी अपने प्रखर राष्ट्रप्रेम,अदम्य साहस और सैन्य नेतृत्व की वीरता कूट-कूट कर भरी थी.उन्होंने उस समय में भारत की खोई हुई विरासत तथा उसके प्रति उदासीन जनमानस को विविध प्रकार के क्रियाकलापों से जागने का और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंककर भारतीय स्वाधीनता संग्राम में जो रण-कौशल का परिचय दिया वो आज हम सब के लिए अविस्मरणीय हैं. 80 वर्ष के आयु में उनकी राष्ट्र भक्ति हम सभी को अपने कर्तव्य पथ पर निडरता से चलने की प्रेरणा दे रहा है. योग क्लब के समन्वयक डॉ राजेश कुमार चंदेल ने कहा कि ब्रिटिश सेना के खिलाफ 1857 के भारतीय विद्रोह में एक सैन्य कमांडर के रूप में कुंवर सिंह का योगदान वास्तव में बहादुरी का कार्य था. बहुत कम योद्धा हैं जिन्होंने कुंवर सिंह जैसे 80 साल की उम्र में युद्ध लड़ा हो. वे गोरिल्ला युद्ध के श्रेष्ठ योद्धा थे. कार्यक्रम का संचालन कर रहे योग प्रशिक्षक पवन कुमार चौधरी ने कहा कि वीर कुंवर सिंह के जीवन से हम युवाओं को कार्य की कुशलता, सैन्य प्रबंधन, राष्ट्र प्रेम,अदम्य साहस, दृढ़ता,नेतृत्व की कला को सीखने में उनके जीवन चरित्र से सीख लेना चाहिए. कार्यक्रम में शशिरंजन कुमार, रितेश कुमार, दिवाकर कुमार, अखिलेश कुमार, रजनीश कुमार, स्तुति कुमारी, सिंपल कुमारी, किशन कुमार, बिगु कुमार, सोनू कुमार, इत्यादि छात्र-छात्राओं की सहभागिता रही.
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