साक्षरता के बिना समग्र विकास की कल्पना अधूरी
सात दिवसीय हिंदी महोत्सव का आगाज, होगी कई गतिविधियां
सात दिवसीय हिंदी महोत्सव का आगाज, होगी कई गतिविधियां औरंगाबाद शहर. हिंदी महोत्सव को लेकर सोमवार से सात दिवसीय कार्यक्रम का आगाज हुआ. 14 सितंबर तक लगातार अलग-अलग गतिविधियां आयोजित की जायेगी और हिंदी महोत्सव को भव्यता प्रदान की जायेगी. जनेश्वर विकास केंद्र, साहित्य संवाद व महोत्सव परिवार के तत्वावधान में संयुक्त रूप से शहर के अधिवक्ता संघ सभागार में साक्षरता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. पहले दिन बेहतर जीवन में साक्षरता जरूरी विषय पर संगोष्ठी की गयी. कार्यक्रम में मुख्य रूप से विवेकानंद मिशन स्कूल के निदेशक शंभू नाथ शरण सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा, ज्योतिषाचार्य शिव नारायण सिंह, प्रो शिवपूजन सिंह, प्रो दिनेश प्रसाद, जनेश्वर विकास केंद्र के अध्यक्ष रामजी सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर कार्यवाह अरुण सिंह, भाजपा पूर्व अध्यक्ष पुरुषोत्तम सिंह, भाजपा नेता राकेश देवता, कला कौशल मंच के अध्यक्ष आदित्य श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की. कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य संवाद के अध्यक्ष लालदेव प्रसाद ने की. अतिथियों को मेमेंटो एवं अंग वस्त्र देकर अभिवादन एवं स्वागत किया गया. खेल कौशल के संयोजक वीरेंद्र सिंह, अशोक सिंह, सीता थापा महोत्सव के अध्यक्ष विनय सिंह, अतुल आनंद, उमंगा महोत्सव के अध्यक्ष संजय सिंह, बाणभट्ट महोत्सव के सुरेंद्र सिंह ने संयुक्त रूप से मुख्य अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम का संचालन करते हुए सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने कहा कि आज विश्व भर में विश्व साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है. साक्षरता दिवस को देश स्तर पर प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के लिए इस बार सात दिवसीय हिंदी महोत्सव के रूप में कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जो कि सात दिनों तक साक्षरता दिवस के संदर्भ में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे. किसी भी राष्ट्र एवं समाज की प्रगति के लिए साक्षरता ही सबसे सशक्त आधार है. साक्षरता के बिना समग्र विकास की कल्पना अधूरी है. साक्षरता दिवस पर संकल्प लें कि समाज के प्रत्येक वर्ग तक शिक्षा का प्रकाश पहुंचे और साक्षर भारत, सशक्त भारत के निर्माण में हम सभी अपनी भूमिका निभाएं. शंभू शरण सिंह, डॉ सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह दिन साक्षरता की परिवर्तनकारी शक्ति और शिक्षा को एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में सुनिश्चित करने की वैश्विक प्रतिबद्धता की याद दिलाता है. साक्षरता केवल पढ़ना-लिखना नहीं बल्कि, व्यक्ति को अपने अधिकारों को समझने, सशक्त बनने और समाज में सम्मान के साथ जीने का अधिकार भी है. प्रो शिवपूजन सिंह, प्रो दिनेश प्रसाद, शिव नारायण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा और साक्षरता किसी भी समाज के विकास का सबसे बड़ा कारक होती है. एक शिक्षित समाज शांति और विकास की नींव रख सकता है. कार्यक्रम में शामिल कई वक्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर आयोजित हिंदी महोत्सव कार्यक्रम की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि निश्चित रूप से साक्षरता के प्रति लोगों को जागरूक करने की सराहनीय पहल है. यह कार्यक्रम समाज में शिक्षा की एक चेतना जगाने का काम करेगा. आदित्य श्रीवास्तव कहा कि साक्षरता राष्ट्र निर्माण की एक नींव है. सात दिवसीय हिंदी कार्यक्रम का उद्देश्य है साक्षरता के प्रति अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जा सके. शिक्षित समाज का निर्माण होगा तभी विकसित राष्ट्र का निर्माण हो सकता है. मौके पर कवि लवकुश प्रसाद,शिवेश सिंह,ओमप्रकाश पाठक, धनंजय सिंह, राजेंद्र सिंह, धीरेंद्र सिंह, बैजनाथ सिंह, मधुसूदन तिवारी, सुरेंद्र सिंह, संजय सिंह, जनेश्वर यादव, महेंद्र यादव, ललन कुमार सिंह आदि मौजूद थे.
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