सदर अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ ने किया रिजाइन, तीन में दो डॉक्टर गायब

उपाधीक्षक ने कहा-लंबी छुट्टी पर है हड्डी के डॉक्टर

By SUJIT KUMAR | August 13, 2025 4:53 PM

उपाधीक्षक ने कहा-लंबी छुट्टी पर है हड्डी के डॉक्टर

औरंगाबाद कार्यालय. औरंगाबाद के सबसे बड़े अस्पताल यानी सदर अस्पताल में समस्याओं का दौर छंटने का नाम नहीं ले रहा है. डॉक्टरों की कमी का सामना कर रहे अस्पताल में डॉक्टर टिकते ही नहीं है. आखिर इसके पीछे वजह क्या है, यह सवाल खड़ा करता है. कुछ माह पहले सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा को सुदृढ़ करने के लिए तीन डॉक्टरों की पदस्थापना की गयी थी, लेकिन एक डॉक्टर ने ज्वाइन ही नहीं किया और एक अन्य डॉक्टर चंद दिन सेवा देने के बाद रिजाइन कर दिया, ेतीन में महज एक डॉक्टर सुभद्रा कुमारी जो आंख रोग विशेषज्ञ हैग, वही अपनी सेवा दे रही है.ज्ञात हो कि सदर अस्पताल में जेनरल सर्जन के रूप में डॉ विक्रम मेहता,आंख डॉक्टर के रूप में सुभद्रा कुमारी और अर्थोपेंडिक के रूप में डॉ गौतम प्रसाद निराला की पदस्थापना हुई थी. डॉ विक्रम मेहता ने ज्वाइन ही नहीं किया,जबकि गौतम प्रसाद निराला ने पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए रिजाइन कर दिया. पूर्व में भी कई डॉक्टर आये और कई गये. किसी ने लंबी छुट्टी का बहाना बनाया. किसी ने व्यवस्था को कोसा तो किसी ने पारिवारिक कारणों का हवाला देकर रिजाइन किया.

डीएस की नजर में लंबी छुट्टी पर हैं निराला

हड्डी रोग विशेषज्ञ गौतम प्रसाद निराला ने सदर अस्पताल की नौकरी से रिजाइन कर दिया है. उन्होंने बताया कि अपना इस्तीफा डीएचएस को सौंप दिया है. निराला की माने तो उनकी पत्नी कोलकाता में है. औरंगाबाद में वे पारिवारिक कारणों से असहज महसूस कर रहे थे. ऐसे में उन्होंने रिजाइन कर दिया. आश्चर्य की बात तो यह है कि हड्डी रोग विशेषज्ञ की रिजाइन की जानकारी उपाधीक्षक डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह को नहीं है. इनके नजर में डॉ निराला लंबी छुट्टी पर है. उपाधीक्षक ने बताया कि उन्हें डॉक्टर द्वारा रिजाइन देने की जानकारी नहीं है,बल्कि वे छुट्टी पर है. उपाधीक्षक ने यह भी कहा कि उनकी अनुपस्थिति रजिस्टर में हर दिन काटी जा रही है. सवाल यह उठता है कि जिनके ऊपर सदर अस्पताल की जिम्मेदारी है उन्हें पता ही नहीं है कि क्या हो रहा है.

आखिर कैसे बन रहा दिव्यांगता प्रमाण पत्र

दिव्यांगों को सरकारी लाभ सहित अन्य लाभ पाने के लिए दिव्यांगता प्रमाण पत्र की आवश्यकता है. सदर अस्पताल में पहले महीने में दो दिन 15 और 30 तारीख को दिव्यांगों की जांच की जाती थी .डीएम के आदेश पर हर सप्ताह यानी मंगलवार को किया जाने लगा.महीने में दो दिन से बढ़कर चार दिन कर दिया गया. हरब मंगलवार को 15 से 20 दिव्यांग जांच कराने पहुंचते है. यानी की 70 से 80 लोग हर माह पहुंचते है. सवाल यह उठता है कि जब हड्डी के डॉक्टर है ही नहीं तो हड्डी से संबंधित दिव्यांगता जांच कैसे हो रही है. बड़ी बात यह है इएनटी के डॉक्टर भी नहीं है. यानी कान, नाक, गला से संबंधित दिव्यांगता जांच हो तो कौन करेगा. इधर, जानकारी मिली कि बगैर विशेषज्ञ डॉक्टर के भी अस्पताल में जांच की जा रही है. ऐसे में मामला बेहद गंभीर है और इस मामले की जांच होनी चाहिए. पिछले एक माह से जो दिव्यांगता जांच हुई है या प्रमाण पत्र बनाये गये तो वह किस आधार पर बनाये गये है. उपाधीक्षक ने बताया कि जो क्रिटकल होते है उनको रेफर कर दिया जाता है और जो करने लायक होता है उसे सीएस के आदेश पर बोर्ड बना कर किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि पांच साल तक वे मदनपुर में काम कर चुके है. उपाधीक्षक की बात से भी कही न कही सवाल खड़ा होता है.

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