पैक्सों में धान खरीद का लक्ष्य पूरा, किसानों को नहीं मिल रहे खरीदार

AURANGABAD NEWS.जिले के सरकारी क्रय केंद्रों पर धान खरीद की व्यवस्था काफी लचर है. पैक्स अध्यक्षों की मनमानी और सौदेबाजी के चलते किसानों को उनके धान का समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में धान अधिप्राप्ति की व्यवस्था किसान के लिए राहत के बजाय परेशानी का सबब बन गया है.

By Vikash Kumar | December 28, 2025 10:04 PM

सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीद की व्यवस्था लचर, खलिहान में पड़ा है धान

अबतक 45148 टन हुई धान की खरीद

औरंगाबाद/कुटुंबा .

जिले के सरकारी क्रय केंद्रों पर धान खरीद की व्यवस्था काफी लचर है. पैक्स अध्यक्षों की मनमानी और सौदेबाजी के चलते किसानों को उनके धान का समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में धान अधिप्राप्ति की व्यवस्था किसान के लिए राहत के बजाय परेशानी का सबब बन गया है. फसल की कटाई व हार्वेस्टिंग के बाद किसानों ने खलिहान में धान संजोये रखे हैं. पर, उन्हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. पैक्स अध्यक्ष व सबंधित सहाकारिता समिति के बीसीओ लक्ष्य पूरा होने की बात कर किसानों को बरगला रहे हैं. इधर, किसान के घरों में धान भंडारण की सुविधा नहीं होने के कारण वे मजबूरी में पैक्स से संपर्क करते हैं. यहां तक कि बगैर मूल्य तय किये ही धान उठवा देते हैं. बाद में भुगतान के समय दाम पर उनसे सौदेबाजी होती है और फिर सहकारी समिति की मर्जी काम करती है. निर्धारित सरकारी दर के अनुरूप कागजों में खरीद दिखाकर उनका भुगतान कम किया जाता है. कई मामलों में किसानों के खाते में अधिक राशि भेजकर शेष रकम वापस लौटवा लिया जाता है. चिल्हीवां के किसान ललन सिंह, बहोरा बिगहा के देवेंद्र सिंह, सूही के अजीत पांडेय, मुकेश कुमार व करण कुमार आदि का कहना है कि पैक्सों में धान बिक्री करने पर भी उन्हें बाजार भाव के आसपास ही कीमत मिलती है. ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.

किसानों के पास न धान रखने की जगह, न क्रय केंद्र तक ले जाने का साधन

जिले के अधिकांश किसान ऐसे हैं जिनके पास न तो धान रखने की जगह होती है और न ही बोरे में भरकर क्रय केंद्र तक ले जाने के साधन. यदि किसान किसी तरह गोदाम तक धान पहुंचा भी दें तो तकनीकी कारण बताकर खरीद से इंकार का खतरा बना रहता है. इसी आशंका से किसान कम दाम पर भी धान पैक्स को सौंप देता है. जानकारी के अनुसार सामान्य धान 2369 रुपये और ग्रेड ए धान का 2389 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य निर्धारित है. पर किसानों को औसतन 1700 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल ही पैसा मिलता है. इसके अलावा नमी, बोरा, पलदारी, ढुलाई के नाम पर कटौती कर ली जाती है. स्थानीय किसानों ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों को वास्तविक तथ्यों से अवगत कराया है. इसके बावजूद भी व्यवस्था सुधारने की ठोस पहल होती नहीं दिख रही है. प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी अभिमन्यू कुमार का कहना है कि कोई भी निबंधित किसान पैक्स में धान बेच सकता है. उन्हें धान क्रय केंद्र तक पहुंचाना है व यदि पहुंचाने के बाद भी खरीद में परेशानी हो तो वे लोग कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं.

अधिप्राप्ति का लक्ष्य घटने से किसानों में असमंजस

उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी अधिप्राप्ति का लक्ष्य घटने से किसान असमंजस में है. जिले में चालू विपणन वर्ष के लिए धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य घटा दिया गया है. जिले का नया लक्ष्य 1,70,902 एमटी निर्धारित किया गया है, जबकि पहले यह 3,12,000 मीट्रिक टन था. डीसीओ मनोज कुमार चौधरी ने बताया कि पिछले वर्ष जिले में 2,33,000 एमटी धान की खरीद हुई थी. डीएओ संदीप राज ने बताया कि जिले में 1,78,000 किसान पंजीकृत हैं. इस वर्ष 1,81,116 हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की गयी है. क्रॉप कटिंग से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार तकरीबन 11,60,589 मिट्रिक टन धान उत्पादन का अनुमान है. डीसीओ मनोज कुमार चौधरी ने बताया कि जिले में 10 व्यापार मंडल व 178 पैक्स काम कर रहे हैं. अब तक 45 हजार 148 एमटी धान की खरीद हुई है. निर्धारित समय के अंदर लक्ष्य के अनुरूप किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की जा रही है.

क्या बोले सहकारिता मंत्री

सूबे के सहकारता मंत्री प्रमोद कुमार चंद्रवंशी ने कहा कि किसानों से धान खरीदने के दौरान पूरी पारदर्शिता बरती जानी है. सहकारिता विभाग इस पर नजर बनाये हुए है.औरंगाबाद का मामला संज्ञान में है. उत्पादन के अनुरूप धान की खरीदारी संभव तो नहीं है पर पैक्स की मर्जी नहीं चलेगी.अगर कोई भी सहकारी समिति या संबधित प्रखंड के अधिकारी गड़बड़ी करते हैं तो अविलंब सूचना देने का प्रयास करें,त्वरित कार्रवाई होगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है