यूं तो मैला आंचल की धरती अररिया ने वर्षों से राष्ट्रीय ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है, वहीं समय के साथ मेधावी बच्चों की सफलता ने भी कई बार क्षेत्र को गौरवान्वित किया है. फिर एक बार इस माटी के लाल ने विदेशी धरती पर भारतीय विद्वता को नयी पहचान दिलायी है. इस बार रानीगंज के बड़हरा निवासी प्रो वकील सिंह के होनहार पुत्र धर्मजीत माधव को बेल्जियम सरकार से भारतीय मुद्रा के अनुसार पीएचडी के लिए एक करोड़ रुपये बतौर स्कॉलरशिप मिली है.
पिता को आर्थिक चिंता का सामना करना पड़ा
अपने पुत्र की सफलता पर गौरवान्वित प्रो सिंह ने कहा कि उनके दोनों पुत्र की प्रतिभा सबके लिए खुशी की बात है. शुरूआत में ही कुछ वर्षों तक पुत्र को पढ़ाने के लिए आर्थिक चिंता का सामना करना पड़ा था. अब तो वे अपने ही मेहनत व मेधा के बदौलत अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों में जगह बनाने में कामयाब हो रहे हैं.
पांचवीं पास करने के बाद से धर्मजीत ने घर से बाहर ही अपना जीवन गुजारा
कुशल गृहिणी माधव की मां सरिता देवी ने कहा कि पांचवीं पास करने के बाद से लगातार धर्मजीत घर से बाहर ही अपना जीवन गुजारा. इतने वर्षों में बड़ी मुश्किल से एक माह भी पुत्र की नजदीकी नहीं मिल पायी. हमेशा अपनी पढ़ाई व उत्कृष्ठ सफलता अर्जित करने की चाहत में वह लगा रहा.
आइआईटी रुड़की से शुरू हुआ आइआइटियन धर्मजीत का सफर
धर्मजीत के बढ़ते मुकाम को देख क्षेत्र के मेधावी बच्चों में भी अपने करियर को लेकर जागृति आयी है. देश के प्रतिष्ठित आइआईटी रुड़की से शुरू हुआ आइआइटियन धर्मजीत का सफर बीटेक के बाद मास्टर ऑफ साइंस के लिए फ्रांस के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी गए. इस बीच एमएस इन टेक्नोलॉजी में 38 लाख रुपये की स्कॉलरशिप भी मिली थी.
अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर बेहतर प्रदर्शन के गवाह बने
फारबिसगंज स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से 10 सीजीपीए के साथ 10 वीं व बोकारो से 12 वीं में अव्वल स्थान हासिल किया था. विगत माह अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर बेहतर प्रदर्शन के गवाह बने. धर्मजीत के छोटे भाई रंजीत माधव भी जेइइ एडवांस में चयनित हो चुके हैं.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya