पैरालम्पिक दीपा मलिक ने खेल रत्न के लिए की अपील, हरियाणा के मुख्यमंत्री का मिला समर्थन

नयी दिल्ली : इस साल के खेल रत्न पुरस्कार के लिये अनदेखी किये जाने के बाद रियो पैरालम्पिक की रजत पदकधारी दीपा मलिक और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खेल मंत्रालय से उनके नाम पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया है लेकिन सरकार के उनकी अपील स्वीकार करने की संभावना नहीं दिखती. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 18, 2017 3:55 PM

नयी दिल्ली : इस साल के खेल रत्न पुरस्कार के लिये अनदेखी किये जाने के बाद रियो पैरालम्पिक की रजत पदकधारी दीपा मलिक और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खेल मंत्रालय से उनके नाम पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया है लेकिन सरकार के उनकी अपील स्वीकार करने की संभावना नहीं दिखती. पुरस्कारों के चयन पैनल ने खेल रत्न के लिये 2016 रियो पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक एथलीट देवेंद्र झझरिया और हाकी के पूर्व कप्तान सरदार सिंह के नाम की सिफारिश की थी.

खट्टर ने 16 अगस्त को लिखे पत्र में कहा, ‘मुझे लगता है कि दीपा मलिक को प्रतिष्ठित खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा जाना चाहिए. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप खेल रत्न के लिये उनके नाम पर विचार करें.’ मलिक पैरालम्पिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं, उन्होंने सात अगस्त को खेल मंत्री विजय गोयल को ईमेल लिखकर इसी तरह की अपील की थी और उन्होंने मुलाकात की मांग भी की थी. मलिक ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इसमें अनदेखी हुई है. कमी कहां हैं? क्या मुझे 50 साल की उम्र में 2020 में एक और पदक जीतने की जरुरत होगी, तब मुझे यह पुरस्कार मिलेगा?’

उन्होंने पुरस्कार के लिये ‘लाबिंग’ की बातों को खारिज करते हुए कहा, ‘खेल रत्न ओलंपिक वर्ष में कई लोगों को दिये जा सकते हैं. मेरा पदक अन्य विजेताओं को 29 अगस्त 2016 में खेल रत्न दिये जाने के 15 दिन बाद आया था. यह पूरी तरह से अनदेखी ही है. मैं इसके लिये लाबिंग नहीं कर रही. लाबिंग वो होती है जब आप समिति की बैठक से पहले लोगों को प्रभावित करने की कोशिश करते हो. जब मैंने देखा कि मेरा नाम इसमें शामिल नहीं था तो मैंने मंत्रालय को लिखा, यह एक अपील है. मुझे मेरे राज्य के मुख्यमंत्री का समर्थन मिला, जिन्हें भी लगता है कि मेरे नाम की अनदेखी की गयी.’

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