क्या है रग्बी स्टाइल Bronco Test, जो क्रिकेटर्स की फिटनेस वाले Yo-Yo Test को करेगा रिप्लेस

Bronco Test: टीम इंडिया ने अपने खिलाड़ियों की फिटनेस मानकों को बढ़ाने के लिए रग्बी स्टाइल वाले ब्रोंको टेस्ट शुरू कर दिया है. इसका श्रेय स्ट्रेंथ एवं कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स को जाता है. इस टेस्ट ये खासकर मेत गेंदबाजों को फायदा मिलेगा जो विदेशी पिचों पर अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने से चूक जाते हैं. इससे उनके पैरों की ताकत बढ़ेगी.

By AmleshNandan Sinha | August 21, 2025 10:24 PM

Bronco Test: भारतीय क्रिकेटरों की फिटनेस को बढ़ाने के लिए, मुख्य कोच गौतम गंभीर और स्ट्रेंथ एवं कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स ने मौजूदा यो-यो टेस्ट और 2 किलोमीटर टाइम ट्रायल के साथ ब्रोंको टेस्ट (Bronco Test) को एक नए मानक के रूप में पेश किया है. जानकारों का मानना है कि भारतीय तेज गेंदबाजों के अक्सर नाकाम होने की एक वजह यह है कि उनके पैरों में ताकत की कमी है. मौजूदा पीढ़ी के गेंदबाज जिम में ज्यादा समय बिताते हैं और दौड़ने पर आधारित व्यायामों की बजाय शक्ति प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हैं. What is rugby style Bronco Test which replace Yo-Yo test

इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के दौरान शुरू हुआ ब्रोंको टेस्ट

बीसीसीआई ने पिछली सर्दियों में ऑस्ट्रेलिया के निराशाजनक दौरे के बाद भारतीय टीम के सहयोगी स्टाफ में फेरबदल किया और एड्रियन ले रॉक्स को स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच के रूप में नियुक्त कर हाल के दिनों में एक बेहतर फैसला किया. इस दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी ने तुरंत समस्या का निदान किया और इसका समाधान निकाला, जो रग्बी शैली का ब्रोंको टेस्ट है. इसमें 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर के कई शटल रन शामिल होते हैं. ब्रोंको टेस्ट की शुरुआत भारत की इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के दौरान हुई थी. कई क्रिकेटरों ने बैंगलोर स्थित बीसीसीआई के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में भी यह टेस्ट दिया है.

ब्रोंको टेस्ट क्या है?

ब्रोंको टेस्ट एक एरोबिक रनिंग ड्रिल है जो खिलाड़ी की सहनशक्ति, गति और हृदय संबंधी दक्षता को मापती है. तीनों दूरियों के शटल रन एक सेट में होते हैं और खिलाड़ियों को बिना रुके छह मिनट के भीतर पांच सेट, यानी कुल 1,200 मीटर पूरे करने होते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसे वर्तमान में फिटनेस के एक मानक माप के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, खासकर तेज़ गेंदबाज़ों के लिए. अखबार ने एक सूत्र के हवाले से कहा, ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में ब्रोंको टेस्ट शुरू किया गया है. भारत के कुछ अनुबंधित खिलाड़ी बेंगलुरु आकर यह टेस्ट दे चुके हैं. इसका इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि फिटनेस के मानक स्पष्ट हों. इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि भारतीय क्रिकेटर, खासकर तेज गेंदबाज, पर्याप्त दौड़ नहीं रहे थे और जिम में बहुत ज्यादा समय बिता रहे थे. खिलाड़ियों को बताया गया है कि उन्हें ज्यादा दौड़ना होगा.’

Yo-Yo Test से कैसे है अलग

यो-यो टेस्ट, जो विराट कोहली के कप्तान रहते उनके कहने पर शुरू किया गया था, थोड़ा अलग है. इसमें 20 मीटर की दूरी पर लगे दो शंकुओं के बीच दौड़ना होता है. हर स्तर पर गति बढ़ने के साथ, खिलाड़ियों को 10 सेकंड का रिकवरी टाइम मिलता है. यह टेस्ट मुख्य रूप से चपलता पर केंद्रित है और इसे पास करने के लिए न्यूनतम स्कोर 17.1 है. अपने 16 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान, कपिल देव शायद ही कभी पीछे हटे. उन्होंने अकेले टेस्ट क्रिकेट में 27,740 गेंदें फेंकी हैं और बिना प्रतिक्रिया वाली भारतीय पिचों पर लंबे स्पैल फेंकने से कभी नहीं हिचकिचाए. अपनी सहनशक्ति बढ़ाने के लिए वह दौड़ते थे. ऐसा लगता है कि भारतीय क्रिकेट आगे बढ़ने की ओर बढ़ रहा है.

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