IND vs WI Test: वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में खाली दिखा स्टेडियम, BCCI की नीति पर उठे सवाल, फैंस बोले- क्या ये रणजी मैच है
IND vs WI Test: अहमदाबाद स्थित नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत और वेस्टइंडीज का पहला टेस्ट मैच खाली स्टैंड्स के कारण चर्चा में रहा. दशहरे पर मैच की शुरुआत, कमजोर विपक्ष और टेस्ट क्रिकेट में घटती रुचि को वजह माना गया. सोशल मीडिया पर फैंस ने BCCI की नीति पर सवाल उठाए और छोटे, उत्साही शहरों में टेस्ट कराने की मांग की.
अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम (Narendra Modi Stadium) में भारत और वेस्टइंडीज (IND vs WI) के बीच पहला टेस्ट मैच गुरुवार (2 अक्टूबर) से शुरू हुआ. यह वही मैदान है जहां एक साथ 1 लाख से अधिक दर्शक बैठकर खेल का आनंद ले सकते हैं और आधुनिक सुविधाओं के लिए यह दुनियाभर में जाना जाता है. मगर मुकाबले के पहले दिन का नजारा हैरान करने वाला रहा, क्योंकि स्टैंड्स लगभग खाली नजर आए. इस दृश्य ने न सिर्फ फैन्स को सोचने पर मजबूर किया बल्कि क्रिकेट एक्सपर्ट्स भी दंग रह गए. सवाल यह है कि आखिर इतनी बड़ी क्षमता वाले मैदान में टेस्ट मैच आयोजित करने के बावजूद दर्शक क्यों नहीं पहुंचे?
फैंस की कम मौजूदगी
टेस्ट मैच के पहले दिन दर्शकों की कमी का एक बड़ा कारण इसका त्यौहारों के बीच आयोजित होना भी बताया जा रहा है. गुरुवार को दशहरे का त्योहार पूरे देश में मनाया जा रहा था, ऐसे में कई लोग मैदान तक नहीं पहुंच सके. हालांकि यह अकेला कारण नहीं है. सोशल मीडिया पर क्रिकेटप्रेमियों ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि टेस्ट मैचों का आयोजन तभी सफल होगा जब उन्हें उन शहरों में रखा जाए, जहां वास्तव में लोग रेड-बॉल क्रिकेट देखने में रुचि रखते हैं.
सोशल मीडिया पर आई प्रतिक्रियाएं
मैदान में खाली सीटें देखकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रहे हैं. एक यूजर ने लिखा इतना बड़ा स्टेडियम और इतनी कम भीड़… टेस्ट क्रिकेट की हालत वाकई चिंता का विषय है. इसके अलाव एक ने लिखा टेस्ट मैच उन्हीं शहरों में कराए जाने चाहिए जहां रेड-बॉल क्रिकेट को फैंस प्यार करते हैं. वहीं एक फैन ने BCCI पर तंज कसते हुए लिखा यहां स्टेडियम बड़ा बनाने से फायदा नहीं होगा, टेस्ट क्रिकेट को सही जगह और सही समय पर शेड्यूल करना जरूरी है. कई फैन्स ने यह भी कहा कि दशहरे जैसे बड़े त्योहार पर मैच शुरू करना दर्शकों की संख्या पर सीधा असर डाल सकता है.
कमजोर टीम से मुकाबले पर उठे सवाल
भारत फिलहाल टेस्ट रैंकिंग में चौथे स्थान पर है और दो बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेल चुकी है. वहीं, वेस्टइंडीज वर्तमान में आठवें नंबर की टीम है और पिछले कुछ सालों में उसका प्रदर्शन भी स्थिर नहीं रहा है. ऐसे में कई फैन्स ने सवाल उठाए कि क्या कमजोर टीम के खिलाफ मैच के लिए इतने विशाल स्टेडियम का चयन सही फैसला था? कई लोगों का मानना है कि दर्शकों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए टेस्ट क्रिकेट को छोटे और उत्साही दर्शकों वाले मैदानों में आयोजित करना ज्यादा कारगर साबित होगा.
विराट पहले ही दे चुके सुझाव
टेस्ट मैचों में दर्शकों की कमी का मुद्दा नया नहीं है. 2019 में भारतीय टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने इस पर अपनी राय दी थी. कोहली ने सुझाव दिया था कि भारत में पांच प्रमुख स्थानों को टेस्ट मैचों के लिए फिक्स कर देना चाहिए. ऐसा करने से दौरा करने वाली विदेशी टीमों को पहले से पता होगा कि उन्हें किन मैदानों पर खेलना है और साथ ही दर्शकों की कमी जैसी समस्या से भी बचा जा सकता है. विराट की राय उस समय भी चर्चित रही थी और मौजूदा हालात को देखकर उनकी बात सही साबित होती नजर आ रही है.
टेस्ट क्रिकेट का भविष्य
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) लंबे समय से यह कोशिश करता रहा है कि टेस्ट क्रिकेट देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों तक पहुंचे. यही वजह है कि अक्सर नए और बड़े मैदानों पर टेस्ट मुकाबलों का आयोजन किया जाता है. लेकिन 21वीं सदी के इस दौर में यह नीति उतनी सफल नहीं दिखती. दर्शकों का झुकाव अब सीमित ओवरों के क्रिकेट की ओर ज्यादा है, जबकि रेड-बॉल क्रिकेट देखने का उत्साह धीरे-धीरे कम हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है कि टेस्ट मैचों का आयोजन सिर्फ उन चुनिंदा मैदानों पर किया जाए, जहां खेल के प्रति लोगों का वास्तविक जुनून देखने को मिलता है.
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