‘कौन है मोहसीन नकवी, मैं नहीं जानता’, पूर्व ICC अंपायर ने ‘ट्रॉफी चोर’ पाकिस्तान की कर दी बेइज्जती
Asia Cup 2025: पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और एशियन क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष मोहसीन नकवी की लगातार फजीहत हो रही है. भारतीय टीम ने नकवी के हाथों एशिया कप 2025 की ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद नकवी ट्रॉफी लेकर भाग गए. अब आईसीसी के पूर्व अंपायर अनिल चौधरी ने एक पोडकास्ट में नकवी को पहचानने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ट्रॉफी कोई भी सौंप सकता था.
Asia Cup 2025: भारत को एशिया कप 2025 जीते हुए करीब तीन हफ्ते हो गए हैं , फिर भी वह खाली हाथ है क्योंकि एसीसी प्रमुख मोहसिन नकवी ने प्रेजेंटेशन समारोह के दौरान हुए हंगामे के बाद ट्रॉफी अपने साथ ने भागे. भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को सात विकेट से हराया, लेकिन उसे खाली हाथ, बिना ट्रॉफी के लौटना पड़ा, क्योंकि नकवी का अहंकार उन पर हावी हो गया. उन्होंने भारत की इस मांग के आगे झुकने से इनकार कर दिया कि वे पीसीबी के अध्यक्ष के रूप में पाकिस्तान क्रिकेट का प्रतिनिधित्व करने वाले किसी व्यक्ति से ट्रॉफी नहीं लेंगे. तब से, उनके और बीसीसीआई के प्रतिनिधियों के बीच कई बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन मामले का अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है.
बीसीसीआई ट्रॉफी को लेकर ICC पर बनाएगा दबाव
ट्रॉफी पर गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है और नकवी खुद मुश्किल में हैं. बीसीसीआई पहले ही नकवी को विश्व क्रिकेट से बैन करने और आईसीसी के निदेशक मंडल से हटाने की योजना बना रहा है. इससे भी बदतर, उनकी प्रतिष्ठा को भी गहरा धक्का लग रहा है. जाने-माने पूर्व भारतीय अंपायर अनिल चौधरी, जो अब कमेंट्री करते हैं, एक पोडकास्ट में नकवी को पहचानने से इनकार कर दिया. मशहूर आरजे रौनक के साथ एक शो के दौरान एशिया कप ट्रॉफी के चौंकाने वाले मामले पर टिप्पणी करते हुए, चौधरी ने कहा कि वह मोहसिन नकवी नाम के किसी व्यक्ति को नहीं जानते.
एक ही व्यक्ति से क्यों दिलाई जाए ट्रॉफी
चौधरी ने रौनक पॉडकास्ट पर कहा, ‘ट्रॉफी कोई भी सौंप सकता था. यूएई प्राधिकरण का प्रतिनिधित्व करने वाले भी कई लोग वहां मौजूद थे. ऐसा कुछ नहीं कहा गया है कि आपको ट्रॉफी सिर्फ एक व्यक्ति से लेनी है. नियमों में इसका कोई जिक्र नहीं है, लेकिन वो सज्जन ट्रॉफी लेके चले गए.सज्जन का एक और मतलब भी है. जैसा मैंने कहा, ऐसा कोई नियम नहीं है कि सिर्फ एक ही व्यक्ति ट्रॉफी सौंपे.’ चौधरी से जब पूछा गया कि क्या वह उनसे कभी मिले हैं, तो उन्होंने कहा, ‘मैं तो उन्हें जानता भी नहीं. मैं बस मोहसिन रजा को जानता हूं. मैंने तो सिर्फ मीडिया में ही देखा था. ये कोट-पैंट वालों से ज्यादा मिलता नहीं मैं. मैंने कभी कोई टूर्नामेंट ट्रॉफी बिना दिए नहीं देखी. स्थानीय क्रिकेट में भी. ऐसे मौके जरूर आए होंगे, पर मुझे याद नहीं.’
क्या था पूरा मामला
यह सब 14 सितंबर को एशिया कप के पहले मैच में भारत के पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से इनकार करने से शुरू हुआ. भारत के जीतने के बाद, बल्लेबाज मैदान छोड़कर चुपचाप ड्रेसिंग रूम में आ गए और दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया. यह मामला तब और बढ़ गया जब पूर्व क्रिकेटरों ने भारतीय टीम पर लगातार निशाना साधा. भारतीय खिलाड़ी अपने रुख से पीछे नहीं हटे, कप्तान सूर्यकुमार ने एक पत्रकार से कह कि ‘कुछ चीजें खेल भावना से ऊपर होती हैं.’ उन्होंने इस साल की शुरुआत में पहलगाम में हुए हमलों का जिक्र किया. कई लोगों ने तब यह भी कहा कि आईसीसी में ऐसा कोई नियम नहीं लिखा है जो खिलाड़ियों को हाथ मिलाने के लिए मजबूर करता है.
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