क्रिकेट के इन दो नियमों में बदलाव चाहते हैं कुक और वॉन, जिन पर IND vs ENG सीरीज के दौरान मचा था बवाल
Alastair Cook and Michel Vaughan 2 Rule Change in Test Cricket: भारत-इंग्लैंड सीरीज में गेंद को लेकर कई विवाद हुए. इसी बहस के बाद इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलिस्टेयर कुक और माइकल वॉन ने टेस्ट क्रिकेट में नए नियम जोड़ने का सुझाव दिया. उनका मानना है कि बदलाव खेल को ज्यादा निष्पक्ष और संतुलित बना सकते हैं.
Alastair Cook and Michel Vaughan 2 Rule Change in Test Cricket: भारत और इंग्लैंड सीरीज के दौरान खिलाड़ियों के बीच कई विवाद हुए, जो खेल की सुर्खियां बने. इस पूरी सीरीज के दौरान हार जीत की प्रतिद्वंद्विता खेल के अन्य कारकों की वजह से भी पैदा हुई थी. मसलन बारिश, पिच, समय और गेंद. इसमें प्राकृतिक विषयों को छोड़ दें, तो गेंद ही एक ऐसी चीज थी, जिस पर नीति नियंताओं का जोर चल सकता है. इसी को देखते हुए एंडरसन-तेंदुलकर सीरीज के दौरान बॉल को लेकर काफी लड़ाई हुई और फिर उस पर बहस हुई. उस समय इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स और तमाम खिलाड़ियों ने इससे जुड़े नियमों में बदलाव की मांग कर रहे थे. अब सीरीज के बाद इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलिस्टेयर कुक और माइकल वॉन ने टेस्ट क्रिकेट में एक-एक नया नियम जोड़ने का सुझाव दिया है.
सर एलिस्टेयर कुक ने इंग्लैंड के लिए 161 टेस्ट खेले और 12,472 रन बनाए हैं. जो रूट से पहले वे अपने देश के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे. स्टिक टू क्रिकेट पॉडकास्ट पर बात करने के दौरान उन्होंने कहा, “एक नया नियम मैं यह जोड़ूंगा कि 160 ओवर के भीतर आप दूसरा नया गेंद जब चाहें ले सकते हैं. आपके पास इन 160 ओवर में दो नए गेंद होंगे और आप दूसरा गेंद जब चाहें ले सकते हैं. अगर आप चाहें तो 30 ओवर के बाद भी नया गेंद ले सकते हैं.”
फिलहाल नियम के अनुसार गेंदबाजी करने वाली टीम को 80 ओवर के बाद नया गेंद मिलता है. हाल ही में संपन्न भारत-इंग्लैंड सीरीज के दौरान यह मुद्दा काफी चर्चा में रहा, क्योंकि ड्यूक गेंद जल्दी अपना आकार खो देती थी कभी-कभी तो सिर्फ 10 ओवर के अंदर ही.
कंकशन ही अन्य चोट में भी बदलाव का हो विकल्प: माइकल वॉन
इसी पॉडकास्ट में मौजूद इंग्लैंड के एक और पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने भी टेस्ट क्रिकेट में सब्सटीट्यूट खिलाड़ियों की अनुमति देने की बात कही. उनका मानना है कि केवल कंकशन (concussion) के लिए ही नहीं, बल्कि गंभीर चोटों की स्थिति में भी सब्स्टीट्यूट का इस्तेमाल होना चाहिए. वॉन ने कहा, “मैच की पहली पारी में, ‘जैसे-के-तैसे’ सब्स्टीट्यूट होना चाहिए. ऋषभ पंत का उदाहरण लें, लॉर्ड्स में उनकी बाईं हथेली पर चोट लगी, वे बल्लेबाजी कर सकते थे, लेकिन विकेटकीपिंग नहीं. ऐसे में ध्रुव जुरेल ने उनके लिए कीपिंग की. आप पूरे मैच में मैदान से बाहर रहकर सिर्फ बल्लेबाजी नहीं कर सकते.” ऋषभ पंत को लगातार दो टेस्ट मैचों में चोट लगी थी, लॉर्ड्स में अंगुली की चोट और मैनचेस्टर में पैर की चोट. वॉन ने साथ ही यह भी कहा कि चोट की गंभीरता तय करने के लिए स्वतंत्र डॉक्टर की नियुक्ति होनी चाहिए.
उन्होंने नाथन लायन का जिक्र करते हुए कहा कि एशेज सीरीज में लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान वे शुरुआत में ही पिंडली की चोट से बाहर हो गए थे. वॉन बोले, “क्या खेल का स्तर बेहतर होता अगर ऑस्ट्रेलिया उस समय एक सब्स्टीट्यूट ला पाता? मुझे लगता है हां.”
मैदान पर हो डॉक्टर, वह तय करे
वॉन ने आगे कहा, “आज हमारे पास कंकशन सब्स हैं, यानी सिर पर चोट लगने पर खिलाड़ी बदला जा सकता है. तो फिर गंभीर चोटों पर क्यों नहीं? बाकी सभी खेलों में ऐसा होता है, तो क्रिकेट क्यों गुणवत्ता में गिरावट झेले? लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कोई स्वतंत्र डॉक्टर ऑन-साइट हो. यह स्वतंत्रता सुनिश्चित करना मुश्किल होगा, लेकिन अब समय आ गया है कि टेस्ट क्रिकेट में सब्स हों. शर्त यह हो सकती है कि चोट गंभीर हो जैसे हड्डी टूटना या स्कैन से पुष्टि होना. नाथन लायन की पिंडली की चोट बहुत गंभीर थी और वे मैच में आगे हिस्सा नहीं ले सकते थे. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया को सब्स्टीट्यूट की अनुमति मिलनी चाहिए थी.”
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