China Masters 2025 Final: फिर टूटा सतविक-चिराग की जोड़ी का दिल, चाइना मास्टर्स में कोरियाई खिलाड़ियों से मिली हार
China Masters 2025 Final: भारत की स्टार बैडमिंटन जोड़ी सतविक्सैराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी चाइना मास्टर्स 2025 फाइनल में कोरिया की नंबर-1 जोड़ी से हार गई. लगातार दूसरी बार फाइनल में सिल्वर से संतोष करना पड़ा.
China Masters 2025 Final: भारत की स्टार पुरुष डबल्स जोड़ी सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी (Satwiksairaj Rankireddy) और चिराग शेट्टी (Chirag Shetty) एक बार फिर खिताब के बेहद करीब पहुंचकर सोने का सपना पूरा नहीं कर सकी. रविवार को शेन्जेन एरीना में खेले गए चाइना मास्टर्स 2025 के फाइनल (China Masters 2025 Final) में भारतीय जोड़ी को दुनिया के नंबर एक और मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन साउथ कोरिया के किम वोन हो और सियो सेउंग जे से 19-21, 15-21 से हार झेलनी पड़ी. यह मुकाबला महज 45 मिनट तक चला लेकिन रोमांच और उतार-चढ़ाव से भरपूर रहा.
लगातार दूसरी बार फाइनल में हार
यह पहला मौका नहीं है जब सतविक-चिराग फाइनल में पहुंचकर खिताब से चूक गए. बीते हफ्ते हांगकांग ओपन 2025 के फाइनल में भी उन्हें चीन के लियांग वेइ किंग और वांग चांग से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा था. उससे पहले अगस्त के अंत में खेले गए BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारतीय जोड़ी सेमीफाइनल तक पहुंची थी, लेकिन वहां चीन के चेन बो यांग और लियू यी के खिलाफ हारकर उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा. यानी, बड़े मंचों पर उनकी निरंतरता तो दिख रही है, लेकिन सोना अब तक हाथ नहीं आया है.
शानदार शुरुआत, बढ़त गंवाई
फाइनल के पहले गेम में दक्षिण कोरियाई जोड़ी ने 0-3 की बढ़त बनाई. इसके बाद भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार वापसी करते हुए स्कोर 3-3 से बराबर कर लिया. तेज रैलियों में सतविक-चिराग ने अपना आक्रामक खेल दिखाया और 10-7 की बढ़त हासिल कर ली. इस जोड़ी ने जल्द ही इसे 14-7 तक पहुंचा दिया. लेकिन यहीं से भारतीय खिलाड़ियों से कुछ अनफोर्स्ड एरर हुए और इसका फायदा किम-सियो ने उठाया. दक्षिण कोरियाई जोड़ी ने लगातार अंक बटोरे और 15-15 पर मैच बराबरी पर ला दिया. इसके बाद उन्होंने भारतीयों को मौका नहीं दिया और पहला गेम 21-19 से अपने नाम कर लिया.
दूसरे गेम में दोहराई वही कहानी
दूसरे गेम की शुरुआत भी भारतीय जोड़ी के पक्ष में रही. सतविक और चिराग ने 8-6 की मामूली बढ़त बना ली थी. लेकिन एक बार फिर बीच गेम के बाद हालात बदल गए. कोरियाई जोड़ी ने अपने अनुभव और संयम का परिचय देते हुए तेजी से अंक जुटाए. उनकी ड्रॉप शॉट्स और नेट पर शानदार खेल के सामने भारतीय जोड़ी दबाव में आ गई. अंत में सतविक की सर्विस रिटर्न लंबी चली गई और मुकाबला 21-15 के स्कोर के साथ दक्षिण कोरिया के नाम हो गया.
सिल्वर लाइनिंग लेकिन सवाल बरकरार
हालांकि हार के बावजूद यह साफ है कि सतविक-चिराग दुनिया की सर्वश्रेष्ठ जोड़ियों के साथ कदम से कदम मिलाकर खेल रहे हैं. लगातार फाइनल और सेमीफाइनल तक पहुंचना उनकी मजबूती का संकेत देता है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि निर्णायक मौकों पर वे क्यों पिछड़ जाते हैं. कोचिंग स्टाफ को अब इस बात पर काम करना होगा कि भारतीय जोड़ी अपनी बढ़त बनाए रखने की क्षमता कैसे विकसित करे. बार-बार फाइनल तक पहुंचकर हार जाना उनके आत्मविश्वास पर असर डाल सकता है. आने वाले टूर्नामेंट्स में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह जोड़ी किस तरह इस मनोवैज्ञानिक दबाव को पार करती है और आखिरकार भारत को स्वर्ण दिलाने में सफल होती है.
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