Pahalgam Attack: गरुड़ पुराण के अनुसार निर्दोषों की हत्या है महापाप, भुगतनी पड़ती है नरक की आग

Pahalgam Attack punishment in Garud Puran: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में मंगलवार को हुए भयानक आतंकवादी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस हमले में 26 व्यक्तियों की जान चली गई है और 17 लोग घायल हुए हैं. इस कायराना हमले का शिकार अधिकांश लोग पर्यटक थे. हम यहां बताने जा रहे हैं कि असहाय और मासूमों को मारने पर गरुड़ पुराण में क्या सजा मिलती है.

By Shaurya Punj | April 24, 2025 1:19 PM

Pahalgam Attack, Garud Puran Punishment: कश्मीर के पहलगाम शहर के पास स्थित ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के रूप में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बायसरन में मंगलवार दोपहर हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान चली गई.मृतकों में अधिकांश पर्यटक शामिल थे.यह 2019 में पुलवामा हमले के बाद घाटी में हुआ सबसे गंभीर हमला है.

हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक गरुड़ पुराण न केवल जीवन के धार्मिक पक्षों का उल्लेख करता है, बल्कि मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा, पाप और पुण्य, और उनके अनुसार मिलने वाले दंडों का भी विस्तार से वर्णन करता है. यह पुराण विशेष रूप से यमलोक और नरक की अवधारणाओं को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. निर्दोषों की हत्या—विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और असहाय लोगों की हत्या—को इसमें सबसे गंभीर पापों में गिना गया है.

दामाद संग भागने वाली सास को गरुड़ पुराण में कैसा दंड? 

गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति किसी निरपराध या निर्दोष व्यक्ति की हत्या करता है, उसे मृत्यु के बाद अनेक भीषण नरकों से गुजरना पड़ता है. यह माना जाता है कि वह आत्मा शांति नहीं पाती, बल्कि यमदूत उसे पकड़कर यमराज के दरबार में लाते हैं, जहां उसके पापों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता है.

निर्दोषों की हत्या पर नरक में यातनाएं

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि निर्दोषों की हत्या करने वाला व्यक्ति कूर्मिभोज, अंधतमस, रौरव, और महाराौरव जैसे भयंकर नरकों में डाला जाता है. इन नरकों में आत्मा को लंबे समय तक जलते हुए अंगारों पर चलाया जाता है, उसे उबलते तेल में डुबोया जाता है और अनेक अमानवीय पीड़ाएं दी जाती हैं. यह यातनाएं तब तक चलती हैं जब तक आत्मा अपने कर्मों का पूरा फल नहीं भुगत लेती.

पुनर्जन्म में भी कष्ट

गरुड़ पुराण यह भी बताता है कि इस प्रकार के जघन्य अपराध करने वाले व्यक्ति का अगला जन्म भी अत्यंत कष्टदायक होता है. वह विकलांग, अंधा या दरिद्र जन्म ले सकता है. कई बार उसे पशु योनि में जन्म लेना पड़ता है, ताकि वह अपने कर्मों का प्रायश्चित कर सके.

धर्म की दृष्टि से संदेश

इस शिक्षाप्रद विवरण का उद्देश्य केवल भय दिखाना नहीं है, बल्कि यह बताने के लिए है कि हर जीवन की कीमत होती है, और किसी की भी जान लेना महापाप है—विशेषकर जब वह व्यक्ति निर्दोष हो. ऐसे कर्म न केवल इस जीवन में, बल्कि मृत्यु के बाद भी आत्मा को घोर पीड़ा देते हैं.