Nirjala Ekadashi 2025: क्या निर्जल व्रत में पानी पीना है सही? जानिए धार्मिक मान्यता

Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में सबसे कठोर उपवासों में से एक माना जाता है, जिसमें जल तक का सेवन वर्जित होता है. लेकिन क्या इस व्रत में पानी पीना उचित है? आइए जानते हैं धार्मिक मान्यता के अनुसार निर्जल व्रत में जल ग्रहण करने का क्या महत्व है.

By Shaurya Punj | June 4, 2025 2:16 PM

Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी को वर्ष की सबसे कठिन और पुण्यदायी एकादशी माना जाता है. यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है और इस दिन व्रती को जल का सेवन नहीं करना होता, इसलिए इसे निर्जला कहा जाता है. उदया तिथि के अनुसार निर्जला एकादशी 6 जून को मनाई जाएगी.

निर्जला एकादशी हिंदू धर्म में सबसे कठिन और पुण्यदायी व्रतों में से एक मानी जाती है. यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. इसका नाम “निर्जला” इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन व्रती जल तक का सेवन नहीं करता. यह व्रत पूरी तरह भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है, और मान्यता है कि इस एक दिन का व्रत साल भर की सभी एकादशियों के बराबर फल देता है.

निर्जला एकादशी व्रत में पानी पीना उचित है?

शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत पूरी निष्ठा और कठोरता के साथ रखा जाना चाहिए, जिसमें अन्न और जल दोनों का पूर्ण त्याग अनिवार्य होता है. स्कंद पुराण और पद्म पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, भीमसेन ने यह व्रत तब अपनाया जब वे अन्य एकादशी व्रतों को नहीं निभा पाते थे. तब महर्षि व्यास ने उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत करने को कहा और बताया कि यह सभी एकादशियों के बराबर पुण्य देता है, बशर्ते जल और अन्न का त्याग किया जाए.

हालांकि, अगर कोई व्यक्ति अस्वस्थ है या शारीरिक रूप से दुर्बल है, तो वह पानी पी सकता है. शास्त्र इस स्थिति में व्रत-भंग नहीं मानते, लेकिन यह पूर्ण निर्जला व्रत नहीं कहलाता. ऐसे में मन से संकल्प लेकर, भगवान विष्णु की सच्ची श्रद्धा से पूजा करना चाहिए. फलाहार या जल लेते हुए भी संयम और भक्ति का भाव बना रहना आवश्यक है.