Shailaputri mata Aarti: नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की आरती, जानें मंत्र और महत्व

Shailaputri mata Aarti: कल यानी 22 सितम्बर को नौ दिनों का महापर्व शुरू हो गया है. इस पर्व का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है. माना जाता है कि इस दिन मां की आराधना करने से घर में सुख-शांति और पॉजिटिव एनर्जी आती है.

By JayshreeAnand | September 21, 2025 11:26 AM

Shailaputri mata Aarti: मां शैलपुत्री माता दुर्गा का पहला रूप हैं और इन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है. उनके पूर्वजन्म में नाम सती था और वे प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं. नवरात्रि के पहले दिन उनकी पूजा विशेष श्रद्धा और विधि-विधान के साथ करनी चाहिए. इस दिन माता शैलपुत्री की आराधना करने से मानसिक शक्ति, साहस और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है. भक्त इस दिन उनके मंत्रों का जप करते हैं और आरती करके माता की कृपा प्राप्त करते हैं.

शैलपुत्री मां के मंत्र

शिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी,

पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी,

रत्नयुक्त कल्याण कारीनी..

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:

बीज मंत्र: ह्रीं शिवायै नम:.

वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ .

वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्.

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्.

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन.

मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

मां शैलपुत्री की आरती ह‍िंदी में

शैलपुत्री मां बैल सवार, करें देवता जय जयकार.

शिव शंकर की प्रिय भवानी. तेरी महिमा किसी ने ना जानी.

पार्वती तू उमा कहलावे. जो तुझे सिमरे सो सुख पावे.

ऋद्धि सिद्धि परवान करे तू. दया करे धनवान करे तू.

सोमवार को शिव संग प्यारी. आरती जिसने तेरी उतारी.

उसकी सगरी आस जगा दो. सगरे दुख तकलीफ मिटा दो.

घी का सुंदर दीप जला के. गोला गरी का भोग लगा के.

श्रृद्धा भाव से मंत्र गाएं. प्रेम सहित शीश झुकाएं.

जय गिरिराज किशोरी. शिव मुख चंद चकोरी अंबे.

मनोकामना पूर्ण कर दो. भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो.

मां शैलपुत्री आरती का महत्व

मां शैलपुत्री, नवदुर्गा का पहला रूप हैं और शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं. उन्हें अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे वृषारूढा, हेमवती और भवानी। शैलपुत्री का नाम ही उनके दृढ़ और मजबूत स्वरूप को दर्शाता है, क्योंकि ‘शैल’ का अर्थ होता है पत्थर. वे हिमालय पर्वत की पुत्री हैं, इसलिए इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. नवरात्रि के पहले दिन उनकी पूजा विशेष महत्व रखती है. इस दिन मां शैलपुत्री की आरती करने से जीवन में मानसिक शक्ति, साहस और आध्यात्मिक शांति मिलती है.

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