Navratri 2025 Day 9: नवमी के दिन कैसे करें पूजा? जानें हवन पूजा विधि, नियम और मंत्र
Navratri 2025 Day 9: शारदीय नवरात्रि को शक्ति की उपासना का महापर्व माना जाता है. इस दौरान भक्त नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग अलग रूपों की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. खासकर नवमी के दिन कन्या पूजन और हवन की परंपरा का विशेष महत्व है, क्योंकि माना जाता है कि इस दिन किया गया हवन देवी मां को प्रसन्न करता है.
Navratri 2025 Day 9: हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि अत्यंत पावन पर्व माना जाता है. देशभर में इसे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और भक्त उपवास रखते हैं. खासतौर पर अष्टमी और नवमी की तिथियां बेहद महत्वपूर्ण मानी गई हैं. इन दिनों कन्या पूजन और हवन का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि विधि-विधान से किए गए हवन से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है और देवी दुर्गा अपनी कृपा से भक्तों के जीवन को कल्याणकारी बना देती हैं. आइए जानते हैं अष्टमी और नवमी के अवसर पर हवन की विधि और नियम.
हवन विधि और नियम
अष्टमी और नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद घर के साफ स्थान पर हवन कुंड रखें और उस पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं. घी का दीपक जलाकर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करें. फिर हवन कुंड में आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करें. अब ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा’ मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री जैसे चावल, तिल, जौ, गुग्गुल और घी की आहुति दें। अंत में पूर्णाहुति देकर मां दुर्गा से सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मांगें.
पूजा विधि
अष्टमी और नवमी पर सबसे पहले सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. घर के पवित्र स्थान पर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. दीपक जलाकर और फूल चढ़ाकर देवी का स्मरण करें. इसके बाद कलश स्थापना करें और दुर्गा सप्तशती या मंत्रों का पाठ करें. मां को फल, मिठाई, नारियल, और पुष्प अर्पित करें. अंत में आरती करें और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें.
हवन करते समय इन मंत्रों का करें जाप
ऊं आग्नेय नम: स्वाहा
ऊं गणेशाय नम: स्वाहा
ऊं गौरियाय नम: स्वाहा
ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा
ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा
ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा
ऊं हनुमते नम: स्वाहा
ऊं भैरवाय नम: स्वाहा
ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा
ऊं न देवताय नम: स्वाहा
ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा
ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा
ऊं शिवाय नम: स्वाहा
ऊं जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा
स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
ऊं ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।
ऊं गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
ऊं शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
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