Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Katha: मोक्षदा एकादशी आज, सुनें पुण्य देने वाली पौराणिक व्रत कथा
Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Katha: मोक्षदा एकादशी के पावन दिन पर व्रत रखने के साथ इसकी कथा सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस कथा को श्रद्धा से सुनने पर पापों का नाश होता है, पूर्वजों को शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है. आज जरूर जानें इसकी खास व्रत कथा.
Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Katha: सनातन धर्म में एकादशी का बेहद खास स्थान है. हर एकादशी को शुभ, सौभाग्य देने वाली और पवित्र माना जाता है. लेकिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी का महत्व सबसे अलग है. इसे मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी कहा गया है, इसलिए इसका नाम पड़ा—मोक्षदा एकादशी. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के पाप कट जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है. इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है, जिससे इस तिथि का आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत युद्ध से पहले कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन, धर्म और आत्मा के रहस्यों से भरी श्रीमद्भगवद् गीता का उपदेश इसी दिन दिया था. इसलिए यह तिथि भक्ति, अध्यात्म, संयम और साधना के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है.
कब है मोक्षदा एकादशी?
पंचांग के अनुसार, अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 30 नवंबर को रात 9:29 बजे होगी. यह तिथि 1 दिसंबर को रात 7:01 बजे समाप्त होगी. चूंकि धर्मशास्त्रों में सूर्योदय के आधार पर तिथि मान्य होती है, इसलिए 1 दिसंबर को ही मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा: क्यों बढ़ जाता है इस दिन का महत्व?
कथा के अनुसार, प्राचीन समय में गोकुल नामक राज्य पर वैखानस नाम के राजा का शासन था. यह राजा बहुत धर्मपरायण, न्यायप्रिय और प्रजा के सुख-दुख का ख्याल रखने वाला था. उसके राज्य में वेदों के ज्ञानी और विद्वान भी बड़ी संख्या में रहते थे.
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एक रात राजा ने भयानक सपना देखा जिसमें उसके पिता नर्क में कष्ट झेलते हुए उससे मुक्ति की गुहार लगा रहे थे. सपना टूटते ही राजा बेचैन हो उठा. उसने विद्वानों को बुलाकर स्वप्न का कारण पूछा, लेकिन कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका.
अंत में राजा को पर्वत मुनि के आश्रम जाने की सलाह दी गई. पर्वत मुनि अपने ध्यान से भूत, वर्तमान और भविष्य सब जानने वाले महान ऋषि थे. राजा ने मुनि से अपनी समस्या बताई. मुनि ने ध्यान लगाकर राजा के पिता के पाप कर्मों का ज्ञान किया और राजा से कहा कि वह मार्गशीर्ष माह में आने वाली मोक्षदा एकादशी का व्रत करे.
राजा ने अपने परिवार सहित विधि-विधान से व्रत किया और उसका पुण्य अपने पिता को अर्पित कर दिया. व्रत के प्रभाव से उसके पिता को नर्क से मुक्ति मिल गई. प्रसन्न होकर उन्होंने राजा को अनेक आशीर्वाद दिए.
