Mahalaxmi Vrat Katha: दिवाली के दिन यहां से पढ़ें ये कथा, मिलेगी लक्ष्मी कृपा

Mahalaxmi Vrat Katha: दिवाली का दिन मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत का खास अवसर है. इस दिन सही तरीके से व्रत और पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है. यहां पढ़ें महालक्ष्मी व्रत की कथा और जानें, कैसे इससे माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.

By Shaurya Punj | October 17, 2025 4:57 PM

Mahalaxmi Vrat Katha: दिवाली केवल रोशनी और मिठाइयों का त्योहार नहीं है. यह धन, सुख और शांति का भी प्रतीक है. इस दिन लोग मां महालक्ष्मी की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं. दिवाली पर महालक्ष्मी व्रत का बहुत महत्व है. इसे सही तरीके से करने से घर के सभी दुख-दुख दूर होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. इस व्रत की कथा सुनने या पढ़ने से भक्तों का मन पवित्र होता है और उनकी भक्ति बढ़ती है. महालक्ष्मी व्रत की कथा में बताया गया है कि कैसे माँ लक्ष्मी अपने भक्तों को मुश्किल समय में भी धन और सुख का वरदान देती हैं. इसे सुनने से न केवल भक्ति की भावना बढ़ती है, बल्कि जीवन में अच्छे संस्कार और सकारात्मक सोच अपनाने की प्रेरणा भी मिलती है.

महालक्ष्मी व्रत की कथा

प्राचीन काल में मंगलार्ण नामक चक्रवर्ती राजा था, जिसकी पत्नी का नाम पद्मावती था. राजा के साथ तवल्लक नाम का एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण भी हमेशा रहता था. एक बार शिकार के दौरान राजा को बहुत प्यास लगी. पानी की तलाश में तवल्लक जंगल में एक तालाब तक पहुंचे, जहां उन्होंने कई महिलाओं को देवी महालक्ष्मी की पूजा करते देखा.

जब तवल्लक ने इस व्रत के बारे में पूछा तो महिलाओं ने बताया कि वे महालक्ष्मी व्रत कर रही हैं, जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला है. तवल्लक ने भी व्रत करने का संकल्प लिया और पवित्र सूत्र (धागा) बांधकर राजा के पास पानी लेकर पहुंचे. राजा ने जब उनके हाथ में सूत्र देखा तो कारण पूछा, जिस पर तवल्लक ने पूरी कथा बताई.

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यह सुनकर राजा ने भी व्रत का संकल्प लिया और सूत्र बांध लिया. रानी पद्मावती ने जब राजा के हाथ में वह धागा देखा तो कारण पूछा. राजा ने पूरी बात बताई, लेकिन अज्ञानवश रानी ने वह सूत्र तोड़कर अग्नि में डाल दिया. इससे क्रोधित होकर राजा ने रानी का त्याग कर दिया और उसे वन में भेज दिया.

देवी महालक्ष्मी का अपमान करने के कारण रानी वन में भटकती रही. एक दिन उनकी मुलाकात ऋषि वसिष्ठ से हुई. रानी ने उन्हें अपनी पूरी आपबीती सुनाई. ऋषि वसिष्ठ ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत करने का परामर्श दिया. रानी ने श्रद्धा और नियम से व्रत किया, जिससे उनका मन शांत और पवित्र हो गया.

कुछ समय बाद राजा शिकार के लिए पुनः उसी वन में आए और ऋषि वसिष्ठ के आश्रम तक पहुंचे. वहां उन्होंने रानी पद्मावती को देखा. ऋषि वसिष्ठ ने राजा को समझाया कि रानी ने महालक्ष्मी व्रत करने से शुद्ध और शांत मन प्राप्त किया है. यह सुनकर राजा ने रानी को वापस स्वीकार किया और उसे महल ले गए.

तब से यह मान्यता है कि जो भक्त महालक्ष्मी व्रत करता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और लक्ष्मी कृपा बनी रहती है.

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