Gita Jayanti 2025: गीता जयंती पर क्यों पढ़ी जाती है श्रीमद्भगवद्गीता? जानें आध्यात्मिक महत्व
Gita Jayanti 2025: गीता जयंती के पावन अवसर पर श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है. यही वह दिन है जब भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को जीवन, धर्म और कर्तव्य का दिव्य उपदेश दिया था. जानें क्यों गीता जयंती पर गीता पढ़ने का महत्व और बढ़ जाता है.
Gita Jayanti 2025: मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र की पवित्र रणभूमि में अर्जुन को दिए गए दिव्य उपदेश की स्मृति में गीता जयंती मनाई जाती है. यह वही क्षण था जब मोह, शंका और द्वंद्व से घिरे अर्जुन को श्रीकृष्ण ने धर्म, कर्तव्य और जीवन के परम सत्य का ज्ञान कराया. इस वर्ष गीता जयंती 1 दिसंबर 2025, सोमवार को मनाई जा रही है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की उपासना से जन्म-जन्मांतरों के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है.
गीता—केवल ग्रंथ नहीं, जीवन मार्गदर्शन
श्रीमद्भगवद्गीता को सामान्य धार्मिक ग्रंथ से बढ़कर जीवन का सार माना गया है. इसके उपदेश हजारों वर्ष पहले जितने प्रभावशाली थे, आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं. यह मनुष्य को सही सोच, संतुलित दृष्टिकोण और जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का साहस देती है. हर युग में इसकी महत्ता इसलिए बनी रहती है क्योंकि यह इंसान के भीतर की उलझनों को दूर कर स्पष्टता प्रदान करती है.
भ्रम और भय में गीता का सहारा
कहा जाता है कि जब व्यक्ति मानसिक दुविधा, भय या चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से घिर जाता है, तब गीता का ज्ञान उसके भीतर प्रकाश जगाता है. श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए तीन मार्ग—कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग—व्यक्ति को आत्मबल, सकारात्मक सोच और सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करते हैं. इसी कारण गीता जयंती के दिन इसका पाठ अत्यंत शुभ माना जाता है.
पाठ, प्रवचन और महायज्ञ का महत्व
गीता जयंती पर देशभर में मंदिरों और घरों में गीता के 18 अध्यायों का पारायण किया जाता है. भक्त सामूहिक पाठ, प्रवचन और गीता महायज्ञ में भाग लेकर ज्ञान, विवेक और सद्बुद्धि की प्रार्थना करते हैं. मान्यता है कि गीता का पाठ नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, मन को शांत करता है और जीवन के प्रति संतुलित दृष्टिकोण विकसित करता है. आध्यात्मिक साधना और आत्मचिंतन के लिए भी यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है.
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गीता जयंती का मुख्य संदेश
गीता जयंती हमें यह प्रेरणा देती है कि जीवन की हर चुनौती का समाधान धैर्य, समर्पण और कर्तव्य के पालन में निहित है. गीता सिखाती है कि कर्म करते रहना और फल की चिंता से मुक्त रहना ही सच्ची मुक्ति का मार्ग है. इसलिए इस पावन अवसर पर गीता के संदेशों को पढ़ना, मनन करना और जीवन में अपनाना अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है.
