Skanda Shashthi Vrat 2025, Kartikeya Aarti: आज मनाया जा रहा है स्कंद षष्ठी व्रत, पूजा के समय जरूर पढ़ें भगवान कार्तिकेय की आरती

Skanda Shashthi vrat 2025, Kartikeya Aarti: आज स्कंद षष्ठी का पावन व्रत मनाया जा रहा है. भगवान कार्तिकेय की कृपा पाने के लिए श्रद्धालु व्रत रखकर विशेष पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई आराधना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पूजा के समय भगवान कार्तिकेय की आरती पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है.

By Shaurya Punj | November 26, 2025 7:54 AM

Skanda Shashthi vrat 2025, Kartikeya Aarti: आज बुधवार, 26 नवंबर को स्कंद षष्ठी का पावन पर्व मनाया जा रहा है. मान्यता है कि यह व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है. खासतौर पर दक्षिण भारत में यह त्योहार बहुत उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन की परेशानियां दूर होती हैं. इस दिन भक्त भगवान स्कंद (जिन्हें मुरुगन और सुब्रहमण्य भी कहा जाता है) की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं. कहा जाता है कि सच्चे मन से की गई पूजा पर भगवान कार्तिकेय जल्दी प्रसन्न होते हैं.

भगवान कार्तिकेय की कृपा पाने के लिए भक्त उनकी आरती, स्तोत्र और मंत्रों का पाठ भी करते हैं. नीचे जानिए—आज के दिन क्या करना शुभ माना जाता है और कैसे करें स्कंद भगवान की पूजा.

कार्तिकेय जी की आरती

जय जय आरती गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा

जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम

जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर

जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी

महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता

जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक

सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय

शत्रु नाशक मंत्र (Kartikeya Mantra)

ऊं शारवाना-भावाया नमः
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मनः कांता कार्तिकेया नामोस्तुते
ऊं सुब्रहमणयाया नमः

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कार्तिकेय गायत्री मंत्र

ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:

कार्तिकेय स्तोत्र (Kartikeya Stotra)

योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।
स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥

गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥

शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥

शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥

अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥

महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥