Nellie Massacre : नेल्ली नरसंहार की रिपोर्ट अब क्यों की गई सार्वजनिक? 1983 में किस गुस्से का परिणाम था यह हत्याकांड

Nellie Massacre : 1979–1985 का दौर असम में आंदोलन का दौर था. यहां के लोग अपनी भाषा, संस्कृति, पहचान और भूमि को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे थे. उनका यह दावा था कि बांग्लादेश से अवैध तरीके से शरणार्थी, जिनमें मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वे असम में घुस रहे हैं और उनकी भूमि और पहचान पर संकट पैदा कर रहे हैं. आंदोलन में शामिल ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और ऑल असम गण संघर्ष परिषद सरकार से लगातार यह मांग कर रहे थे कि घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें यहां बसने से रोका जाए. इसी आंदोलन की वजह से 1985 में उस वक्त के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने असम समझौता किया था, लेकिन इस समझौते से दो साल पहले कुछ नाराज लोगों ने असम में एक भयंकर नरसंहार को अंजाम दिया, जिसमें लगभग 2000 लोगों की मौत हुई. वह नरसंहार नेल्ली नरसंहार के नाम से जाना जाता है, जिसकी जांच रिपोर्ट अब सार्वजनिक हुई है.

By Rajneesh Anand | November 29, 2025 2:08 PM

Nellie Massacre : असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने 42 साल पहले हुए नेल्ली नरसंहार की जांच रिपोर्ट को विधानसभा में पेश कर दिया है. नेल्ली नरसंहार देश के बहुचर्चित नरसंहारों में से एक है और इसमें महज 6-7 घंटे की हिंसा में करीबन 2 हजार से अधिक मुसलमानों को मार दिया गया था, जिनके बारे में यह दावा किया जाता है कि वे बांग्लादेश से आने वाले प्रवासी थे. इन लोगों के असम में आने और यहां बसने पर असम के लोगों को आपत्ति थी. उनका यह दावा था कि ये प्रवासी यहां की डेमोग्राफी को खराब कर रहे हैं और असम की सभ्यता और संस्कृति पर तो खतरा है ही,साथ ही उनके संसाधनों पर भी गलत लोगों का कब्जा हो रहा है.

इसी वजह से असम के स्थानीय लोगों ने नेल्ली नरसंहार को अंजाम दिया. उस वक्त देश में कांग्रेस की सरकार थी और नेल्ली नरसंहार की जांच रिपोर्ट को इसलिए सार्वजनिक नहीं किया गया था, क्योंकि इसे बहुत ही संवेदनशील माना गया था. ऐसे में अब जबकि सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है, सरकार की मंशा समझने की कोशिश हो रही है क्योंकि असम में 2026 में चुनाव होना है. बीजेपी घुसपैठियों के मुद्दे को लगातार उठाती रहती है और यह नरसंहार उनसे ही जुड़ा है.

क्या है नेल्ली नरसंहार?

नेल्ली नरसंहार 18 फरवरी 1983 को असम में हुआ था. जिस वक्त यह नरसंहार हुआ था, उस वक्त असम की परिस्थितियां बहुत विस्फोटक थी. असम में अवैध प्रवासन यानी बांग्लादेश से शरणार्थियों के असम आने से वहां के स्थानीय लोग बहुत निराश थे और वे यह चाहते थे कि इसपर रोक लगे. असम के लोगों का कहना था कि इन शरणार्थियों की वजह से उनकी जनसंख्या, सांस्कृतिक पहचान और राजनीति पर भी असर हो रहा है. अवैध प्रवासन को रोकने के लिए आॅल असम स्टूडेंट यूनियन और बाद में आॅल असम गण संघर्ष परिषद के नेतृत्व में आंदोलन हुए. इतना ही नहीं मतदाता सूची में इन प्रवासियों के नाम जोड़े जाने से भी असम के लोग नाराज थे और उन्होंने सरकार से यह मांग की थी कि पहले घुसपैठियों की पहचान हो, तब ही चुनाव कराए जाएं, क्योंकि उन्हें डर था कि इन अवैध प्रवासियों की वजह से असम के मूल लोग अपनी ही भूमि पर अल्पसंख्यक बन सकते हैं. लेकिन सरकार ने असम में आंदोलन कर रहे लोगों की आवाज को अनसुनी कर दिया, जिसके बाद हुआ था नेल्ली नरसंहार, जिसने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया था.

नेल्ली नरसंहार में कितने लोगों की मौत हुई थी?

नेल्ली नरसंहार में कितने लोग मारे गए इसकी अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. हालांकि जांच रिपोर्ट अब पेश हो गई है, तो संभव है कि कुछ दिनों में आधिकारिक आंकड़ा सामने आ जाए. नरसंहार के बाद जो मीडिया रिपोर्ट्‌स सामने आई उसके अनुसार इस नरसंहार में 1800 से 2000 लोगों की मौत हुई थी. यह हमला असम चुनाव के दौरान हुआ था. सुबह करीब नौ बजे स्थानीय लोगों ने करीब 14 गांवों को घेर लिया और सभी निकासी द्वारों को बंद कर दिया. उसके बाद वहां रहने वाले लोगों पर चाकू, तलवार, भाले और अन्य हथियारों से हमला करके उनकी जान ली गई. कई घरों में आग लगा दी गई, जिसकी वजह से लोग जिंदा जल गए. जबतक सुरक्षाकर्मी वहां पहुंच पाते भयंकर त्रासदी हो चुकी थी.स्थानीय लोगों का ऐसा भी दावा था कि मरने वालों की संख्या 5 हजार तक हो सकती है. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग थे.

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नेल्ली नरसंहार की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की वजह?

असम में अभी बीजेपी की सरकार है और उसने यह कहा है कि वह सच सामने लाने के उद्देश्य से इस नरसंहार की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक कर रही है. तत्काल प्रभाव से इस रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई होगी इसकी संभावना बहुत कम है. बावजूद इसके इस रिपोर्ट को जारी किए जाने के पीछे की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं. विपक्ष का दावा है कि सरकार यह रिपोर्ट राजनीतिक फायदे के लिए सार्वजनिक कर रही है. अगर उसे सच सामने लाने की इतनी ही इच्छा थी तो वो पहले भी रिपोर्ट सार्वजनिक कर सकती थी, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. चूंकि असम में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी लगातार घुसैपठियों का मुद्दा उठाती रही है, इसलिए वह माहौल बना रही है. चूंकि घटना के बाद इस रिपोर्ट को उजागर नहीं किया गया था, तो बीजेपी कांग्रेस को घेरना भी चाहती है और उसे सच छिपाने वाला बताना चाहती है.

क्या राजीव गांधी के असम समझौते से नेल्ली नरसंहार का कोई संबंध है?

राजीव गांधी ने 1985 में असम समझौता किया था और नरसंहार 1983 में हुआ था. असम समझौते में यह बात थी कि असम में गलत तरीके से जो बांग्लादेशी बस गए हैं उनकी पहचान कर उन्हें वापस भेजा जाएगा. साथ ही मतदाता सूची को संशोधित करके उनका नाम मतदाता सूची से हटाया जाएगा, ताकि असम के मूल निवासियों का हक ना मारा जाए. नरसंहार से असम समझौते का सीधा संबंध तो नहीं है, लेकिन संबंध जरूर है, क्योंकि इनकी कड़ियां आपस में जुड़ी हैं. जिन मुद्दों को लेकर नरसंहार हुआ था, उनके समाधान के लिए ही यह समझौता किया गया था.

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