एशिया कप में भारत का विजय तिलक, पढ़ें मनोज चतुर्वेदी का आलेख
Asia Cup : भारत ने इस टी-20 एशिया कप में पाकिस्तान के साथ खेले गये तीनों मैच में ही उस पर जीत दर्ज नहीं की, बल्कि पिछले आठ मैचों में पाकिस्तान को फतह करके यह दिखा दिया कि अब बादशाहत उसकी ही चलती है. इस तरह भारत ने 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान के हाथों हुई हार का हिसाब भी बराबर कर लिया.
Asia Cup : टी-20 विश्व चैंपियन भारत ने एशिया कप के रूप में एक और खिताब अपने नाम कर लिया. भारत का पाकिस्तान के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों में रिकॉर्ड भले ही एकतरफा हो गया हो, पर भारत को इस खिताबी जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा. यह सही है कि खेल हो या कोई अन्य क्षेत्र, हर जगह सफलता ही मायने रखती है. इसलिए इस सफलता के लिए कोच गौतम गंभीर के मार्गदर्शन और सूर्यकुमार यादव की अगुवाई वाली टीम इंडिया के प्रयासों की जितनी भी प्रशंसा की जाये, वह कम है.
भारत ने इस टी-20 एशिया कप में पाकिस्तान के साथ खेले गये तीनों मैच में ही उस पर जीत दर्ज नहीं की, बल्कि पिछले आठ मैचों में पाकिस्तान को फतह करके यह दिखा दिया कि अब बादशाहत उसकी ही चलती है. इस तरह भारत ने 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान के हाथों हुई हार का हिसाब भी बराबर कर लिया. किसी विश्व कप के फाइनल में भारत ने इससे पहले 2007 के टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान पर जीत हासिल की थी. भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने शुरुआती दौर में पाकिस्तान को फतह करने के बाद कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंद्विता अब रही ही कहां है. यह सही है कि पिछले एक दशक में दोनों टीमों के प्रदर्शन में काफी अंतर आ गया है. पर यह भी सच है कि आज भी दोनों देशों के भिड़ने पर खिलाड़ी ही नहीं, क्रिकेट प्रेमी भी रोमांच से भर उठते हैं और कोई भी एक-दूसरे से हारना बर्दाश्त नहीं कर पाता है.
सही मायनों में इस सोच ने ही फाइनल को धड़कनों को रोकने वाला बना दिया. यह कहा भी जाता है कि महत्वपूर्ण मौकों पर धड़कनों को काबू में रखने वाले की ही आखिर में जीत होती है. भारतीय टीम इसी खूबी की वजह से विजय पाने में सफल रही. भारत के गेंदबाजी करते समय और फिर बल्लेबाजी करते समय कई बार फाइनल हाथों से फिसलता नजर आया, पर भारतीय रणबांकुरों ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी, दिखा दिया कि वे मुश्किल हालात को अपने पक्ष में करना जानते हैं. उन्होंने दबाव में बेहतर प्रदर्शन करने की रणनीति से मैच को अपने पक्ष में कर एशिया में अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी.
पाकिस्तान के 12.4 ओवर में एक विकेट पर 113 रन बना लेने पर लग रहा था कि मैच भारत के हाथ से निकल रहा है, क्योंकि वह 200 रन तक पहुंचता नजर आ रहा था. इस स्थिति में भारतीय स्पिनर कुलदीप यादव और वरुण चक्रवर्ती के साथ जसप्रीत बुमराह ने एक के बाद एक विकेट निकाल पाकिस्तान की पारी को मात्र 146 रनों पर समेट मैच को अपनी पकड़ में ले लिया. हालांकि लक्ष्य का पीछा करते समय जब 20 रन पर अभिषेक शर्मा, शुभमन गिल और कप्तान सूर्यकुमार यादव के विकेट निकल जाने पर भारतीय दर्शकों में सन्नाटा पसर गया था, तब तिलक वर्मा विराट कोहली वाली भूमिका में नजर आये और टीम को जीत दिलाकर ही दम लिया. इसमें शिवम दुबे और संजू सैमसन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया.
पूरे टूर्नामेंट में भारत के हीरो रहे अभिषेक शर्मा फाइनल में उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके और इस बात का मलाल उनके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था. यही वजह रही कि तिलक वर्मा द्वारा टीम को जिताने पर उनसे ज्यादा खुश अभिषेक शर्मा नजर आ रहे थे. सही मायने में भारत के अजेय अभियान में उन्होंने 314 रन बनाकर अहम योगदान दिया है. उन्होंने भारतीय ही नहीं, विश्व टी-20 क्रिकेट की दिशा बदल दी है. वह पहले ही गेंद से आक्रामक रुख अपनाकर पहले छह ओवरों में ही मैच का रुख बदलने का माद्दा रखते हैं. वह हमेशा क्रिकेटीय शॉटों से ही चौके और छक्के लगाते हैं. उनके खेल से लगने लगा है कि उन्हें जल्द ही वनडे में भी आजमाया जा सकता है.
ऐसा कहा जाता है कि खेल को खेल ही रहने देना चाहिए. पर यह भी सच है कि दोनों ही देश इस मुकाबले को खेलों से कुछ अलग मानते हैं. इस कारण ही काफी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय टीम को जीत पर बधाई देते हुए कहा, खेल के मैदान पर ऑपरेशन सिंदूर. नतीजा वही, भारत जीत गया. हमारे क्रिकेटरों को बधाई… सही मायने में यह टीम बधाई की पात्र है. इस युवा टीम ने खेल के स्टाइल को बदलकर रख दिया है. अब गेंदबाज रन बन जाने पर भी दबाव में आये बगैर विकेट लेना जानते हैं, जबकि बल्लेबाज झटके लग जाने पर भी चौके और छक्के लगाना नहीं छोड़ते. इससे एक बात तो साफ है कि भारत की खेलने की यह स्टाइल अगले वर्ष फरवरी-मार्च में घर में होने वाले टी-20 विश्व कप में उसे विजेता बना सकती है.
भारतीय टीम द्वारा पाकिस्तानी टीम के साथ पहले मैच में हाथ न मिलाने की घटना मैच से ज्यादा सुर्खियां पा गयी थीं. इसके बाद इस बात की प्रतीक्षा की जा रही थी कि भारतीय टीम विजेता बनने पर एशियाई क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष मोहसिन नकवी, जो कि पीसीबी के भी अध्यक्ष हैं, से ट्रॉफी लेगी या नहीं. भारतीय टीम ने नकवी के हाथों ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया. इस कारण समारोह काफी देर तक नहीं हो सका और भारतीय टीम बिना ट्रॉफी के ही लौट गयी.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)
