‘त्रिशूल’ के जरिये पाकिस्तान को संदेश

Trishul : ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में यह सैन्याभ्यास साझा सैन्य कार्रवाई की हमारी क्षमता तथा भविष्य में जरूरत पड़ने पर जोरदार सैन्य कार्रवाई करने का ठोस संदेश देता है. इस सैन्याभ्यास में विभिन्न स्वरूपों में एक साथ किये जाने वाले छोटे-छोटे कई अभ्यास शामिल हैं, जिनका उद्देश्य मोर्चे पर अपना वर्चस्व स्थापित करना है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2025 8:03 AM

– हर्ष कक्कड़, मेजर जनरल, (सेवानिवृत्त)-

Trishul : गुजरात और राजस्थान में आयोजित त्रिशूल सैन्याभ्यास में तीनों सेना की भागीदारी तो है ही, यह सैन्याभास उस सर क्रीक में भी हो रहा है, जहां पाकिस्तान ने हाल ही में कुछ ज्यादा ही रुचि दिखायी. इस सैन्याभ्यास के दायरे में अरब सागर भी है. सैन्याभ्यास में न केवल नौसैनिक जहाज, युद्धक विमान, विशेष सुरक्षा बलों, नवगठित युद्धक समूहों तथा मैकेनाइज्ड बलों की उपस्थिति है, बल्कि ये तालमेल बना कर अभ्यास कर रहे हैं. इसका समापन सौराष्ट्र के तट पर होगा, जहां हमारी तीनों सेना के जवान थल, समुद्र और आकाश में अपनी कुशलता का परिचय देंगे.


एक रक्षा प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि ‘इस सैन्याभ्यास में इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, साइबर, ड्रोन और काउंटर ड्रोन ऑपरेशंस, खुफिया अभ्यास और गहन निरीक्षण के साथ एयर डिफेंस कंट्रोल तथा रिपोर्टिंग जैसी कार्रवाइयों को अंजाम दिया जा रहा है. यह सैन्याभ्यास जमीन, समुद्र तथा आकाश में तीनों सेना की भौतिक तथा वर्चुअल, दोनों माध्यमों में सतत तैयारी को उद्देश्य में रख कर किया जा रहा है.’ इसमें लगभग 40,000 सैनिकों की भागीदारी है. इस लिहाज से हाल के वर्षों में यह सबसे बड़ा सैन्याभ्यास है. सैन्याभ्यास स्थल तथा अरब सागर में नोटम (नोटिस टू एयरमैन) जारी किया गया.

ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में यह सैन्याभ्यास साझा सैन्य कार्रवाई की हमारी क्षमता तथा भविष्य में जरूरत पड़ने पर जोरदार सैन्य कार्रवाई करने का ठोस संदेश देता है. इस सैन्याभ्यास में विभिन्न स्वरूपों में एक साथ किये जाने वाले छोटे-छोटे कई अभ्यास शामिल हैं, जिनका उद्देश्य मोर्चे पर अपना वर्चस्व स्थापित करना है. नॉर्दन कमांड ने हाल ही में लद्दाख में अस्त्र शक्ति अभ्यास किया है. इसका लक्ष्य सैन्य शक्ति के प्रदर्शन, स्वार्म ड्रोन के इस्तेमाल और मानवरहित हवाई निरीक्षण व्यवस्था की मजबूती के अलावा आइटीबीपी के साथ मिल कर कमांडो ऑपरेशन को अंजाम देना था.

उस अभ्यास का उद्देश्य लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्र में चीन या पाकिस्तान की किसी भी करतूत का करारा जवाब देने की क्षमता को परखना था. पिछले सैन्याभ्यास के विपरीत, जिनमें आक्रामकता के साथ रक्षात्मकता का भी मिश्रण था, त्रिशूल एक ही साथ कई जगहों पर अंजाम दिया जाने वाला उच्च तीव्रता वाला आक्रामक सैन्याभास है. ऐसा लगता है कि इस सैन्याभ्यास को परमाणु संरक्षण के अधीन अंजाम दिया गया, जिसका लक्ष्य अपने काउंटर ड्रोन तथा एयर डिफेंस प्रणाली द्वारा पाकिस्तान के जवाबी हमलों को बेअसर करना है. त्रिशूल सैन्याभ्यास उस बहुप्रतीक्षित थिएटर कमांड का पूर्वाभ्यास हो सकता है, जो सैन्य ऑपरेशन में एकजुटता तथा आत्मनिर्भरता का द्योतक होगा. वायुसेना ने भी पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में नोटम जारी किया था, क्योंकि अपनी क्षमता को परखने के लिए वह वहां अभ्यास कर रही है. वायुसेना दरअसल यह भी देखना चाहती है कि संयुक्त अभियान के तहत वह एक से दूसरे क्षेत्र में अपने सैनिकों की तैनाती तेजी से करने में सक्षम है या नहीं.


थलसेना ने बीते एक दशक में क्षमता वृद्धि की दृष्टि से कई कदम उठाये हैं. इसके अंतर्गत एकीकृत रक्षा बल, रुद्र ब्रिगेड्स, भैरव बटालियन तथा अशनि ड्रोन प्लाटूंस आदि का गठन शामिल हैं. त्रिशूल सैन्याभ्यास में इन सबकी सक्रियता है. ऑपरेशन सिंदूर में नौसेना खामोश थी. लेकिन त्रिशूल सैन्याभास में वह नेतृत्वकारी भूमिका में है. इसका संदेश यह भी है कि भविष्य में भारत द्वारा शुरू किये जाने वाले किसी भी सैन्य ऑपरेशन में नौसेना की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है. त्रिशूल सैन्याभ्यास की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान में दहशत के माहौल को साफ-साफ देखा जा सकता है. भारत के जवाब में पाकिस्तान ने भी नोटम जारी किया, जिसका मतलब अपने सैन्य बलों को अलर्ट मोड पर रखना है.

बीते कुछ दिनों में पाकिस्तान को सर क्रीक क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ाते देखा गया. इस्लामाबाद का मानना है कि उस क्षेत्र में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का विशाल भंडार है. त्रिशूल सैन्याभास को जिस क्षेत्र में अंजाम दिया जा रहा है, वही अपने आप में पाकिस्तान के लिए ठोस संदेश है कि सीमा पर उसकी किसी भी तरह की शरारत का जबरदस्त जवाब दिया जायेगा. इस सैन्याभास से पाक सेना पर दबाव इसलिए भी बना है, क्योंकि अफगानिस्तान से भिड़ंत के कारण पूर्वी सीमा पर भी इस्लामाबाद को भारी संख्या में सैन्य तैनाती करनी पड़ी है. पाकिस्तान को यह भी साफ-साफ समझ में आ गया है कि भारत बहुत कम समय में उसके खिलाफ आक्रामक कार्रवाई कर उसे न सिर्फ भारी नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि इसके लिए उसे परमाणु हमलों के इस्तेमाल की भी जरूरत नहीं है.


पाकिस्तान के इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आइएसपीआर) के डीजी का कहना था कि त्रिशूल सैन्याभ्यास के दौरान भारत तटीय इलाके में झूठा फ्लैग ऑपरेशन कर सकता है, और पाकिस्तान को निशाना बनाने में उसका लाभ उठा सकता है. इससे स्पष्ट है कि त्रिशूल सैन्याभास ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है. लगातार नोटम जारी करने और नौसैनिक स्तर पर चेतावनियां जारी करने से भी उसके डर का पता चलता है. पाकिस्तान की सेना त्रिशूल सैन्याभ्यास पर बहुत गहरी नजर इसलिए भी रखे हुए है, क्योंकि उसे मालूम है कि भारत ऑपरेशन सिंदूर 0.2 की शुरुआत बिल्कुल इसी तरह से करेगा. जहां तक चीन की बात है, तो अस्त्र शक्ति और त्रिशूल सैन्याभ्यासों के जरिये उसे पता चल गया है कि भारतीय सेना एक ही अभियान के अंदर जल-थल और वायुसेना के समन्वित सैन्य अभियान के साथ साइबर व इलेक्ट्रॉनिक कार्रवाई करने में भी सक्षम है.

इस सैन्याभ्यास को दुनिया भी भारत की मजबूत सैन्य शक्ति के सबूत के तौर पर देख रही होगी. नि:संदेह रक्षात्मक सैन्य शक्ति का अपना महत्व है, लेकिन अपने शत्रुओं पर विजय पाने के लिए किसी देश को अंतत: अपनी आक्रामकता का ही परिचय देना होगा. विभिन्न इलाकों में सैन्य बलों की मजबूत मौजूदगी के जरिये भारतीय सेना ने जहां अपनी रक्षात्मकता का परिचय दिया है, वहीं त्रिशूल जैसे सैन्याभ्यास बताते हैं कि भारत अपनी सैन्य आक्रामकता का प्रदर्शन शत्रु देश की सीमा पर और उससे आगे जाकर भी कर सकता है. त्रिशूल सैन्याभ्यास की सफलता से तीनों सेना के बीच तालमेल और समन्वित आक्रामक क्षमता का पता चला है. चूंकि इस सैन्याभ्यास में इस्तेमाल किये गये तमाम उपकरण भारत-निर्मित थे, इससे रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारतीय तकनीक की श्रेष्ठता का भी प्रमाण मिला है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)