बेअसर होता एंटीबायोटिक

Antibiotic : यह सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है, क्योंकि इससे संक्रमण की स्थिति में रोगी पर एंटीबायोटिक दवाएं काम करना बंद कर सकती हैं, मरीज के अस्पताल में रहने की अवधि बढ़ सकती है और इलाज का खर्च बढ़ने के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य के ढांचे पर भी बोझ बढ़ सकता है.

By संपादकीय | October 16, 2025 8:02 AM

Antibiotic : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी ‘ग्लोबल एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस सर्विलांस रिपोर्ट’, 2025 में चौंकाने वाला खुलासा किया है कि 2023 में वैश्विक स्तर पर हर छठे बैक्टीरियल संक्रमण पर आम एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 से 2023 के बीच एंटीबायोटिक प्रतिरोध में 40 फीसदी से अधिक वृद्धि दर्ज की गयी है. एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है, जब बैक्टीरिया को मारने के लिए बनायी गयी दवाओं के प्रति ये रोगाणु बचाव क्षमता विकसित कर लेते हैं. बढ़ता एंटीबायोटिक प्रतिरोध आधुनिक चिकित्सा के लिए बड़ा खतरा बन रहा है.

यह सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है, क्योंकि इससे संक्रमण की स्थिति में रोगी पर एंटीबायोटिक दवाएं काम करना बंद कर सकती हैं, मरीज के अस्पताल में रहने की अवधि बढ़ सकती है और इलाज का खर्च बढ़ने के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य के ढांचे पर भी बोझ बढ़ सकता है. रिपोर्ट यह भी कहती है कि एंटीबायोटिक के बेअसर होने का औसत दुनियाभर में एक समान नहीं है. जैसे, दक्षिण पूर्व एशिया, जिसमें भारत भी है और पूर्वी भूमध्यसागरीय इलाकों में स्थिति सबसे गंभीर है, जहां हर तीन में से एक संक्रमण पर एंटीबायोटिक का असर नहीं हो रहा. जबकि अफ्रीका महाद्वीप में हर पांच में से एक संक्रमण पर एंटीबायोटिक बेअसर पाया गया.

कई जीवनरक्षक दवाएं भी अपना असर खो रही हैं. ये महंगी हैं और गरीब देशों में इनकी उपलब्धता भी कम है. एंटीबायोटिक का बेअसर होना न केवल एक बड़ी समस्या है, बल्कि इससे वे देश सबसे अधिक प्रभावित हैं, जहां इस पर सबसे कम ध्यान दिया जाता है. अच्छी बात यह है कि एंटीबायोटिक निगरानी प्रणाली में देशों की भागीदारी चार गुना बढ़ी है. वर्ष 2016 में जहां सिर्फ 25 देश इस निगरानी प्रणाली में शामिल थे, वहीं 2023 में इनकी संख्या बढ़कर 104 हो गयी. पर दुनिया के लगभग आधे देश अब भी विश्वसनीय निगरानी व्यवस्था से वंचित हैं.

ये देश नियमित रिपोर्ट नहीं भेजते और कई देशों में जांच की सुविधाएं भी कमजोर हैं. डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य है कि 2030 तक हर देश एंटीबायोटिक प्रतिरोध से संबंधित उच्च गुणवत्ता वाले डाटा साझा करें, ताकि मिल कर इस खतरे से लड़ा जा सके. उसने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर अब भी हमने इस खतरे को गंभीरता से नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में साधारण बुखार, खांसी और संक्रमण भी जानलेवा साबित हो सकता है.