कोर सेक्टर में तेजी
core sector : कोर सेक्टरों में भारी वृद्धि अकेले कोयला क्षेत्र के उत्पादन में व्यापक बढ़ोतरी के कारण संभव हुई. हालांकि इस्पात, सीमेंट और बिजली को छोड़कर शेष पांच क्षेत्रों की वृद्धि दर पिछले साल के जुलाई-अगस्त की तुलना में अधिक रही.
core sector : अगस्त में देश के कोर सेक्टर, यानी प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों का उत्पादन 6.3 प्रतिशत बढ़कर 13 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया. उल्लेखनीय है कि जुलाई में भी औद्योगिक उत्पादन का प्रदर्शन बेहतर था और कोर सेक्टर की वृद्धि दर 3.7 प्रतिशत थी, जबकि एक साल पहले, अगस्त, 2024 में कोर सेक्टर के उत्पादन में 1.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी थी. कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, बिजली, सीमेंट और इस्पात आते हैं तथा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में इसकी हिस्सेदारी 41 प्रतिशत है.
सोमवार को जारी हुए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कोयला, इस्पात और सीमेंट उत्पादन में वृद्धि के कारण कोर सेक्टर का प्रदर्शन अगस्त में शानदार रहा. इस अवधि में कोयले की उत्पादन वृद्धि दर 11.4 फीसदी रही. जबकि जुलाई में इसमें 12.3 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी थी. ऐसे ही, रिफाइनरी उत्पाद की वृद्धि दर जुलाई के 1.1 प्रतिशत की तुलना में अगस्त में बढ़कर तीन फीसदी हो गयी. इस्पात क्षेत्र की वृद्धि दर 14.2 प्रतिशत रही, हालांकि जुलाई में वृद्धि दर इससे अधिक थी. जबकि सीमेंट, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की वृद्धि दर में जुलाई की तुलना में कमी देखी गयी.
जाहिर है, कोर सेक्टरों में भारी वृद्धि अकेले कोयला क्षेत्र के उत्पादन में व्यापक बढ़ोतरी के कारण संभव हुई. हालांकि इस्पात, सीमेंट और बिजली को छोड़कर शेष पांच क्षेत्रों की वृद्धि दर पिछले साल के जुलाई-अगस्त की तुलना में अधिक रही. मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के दौरान आठ बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि के दौरान कोर सेक्टर की वृद्धि दर 4.6 फीसदी थी.
लेकिन यह भी गौरतलब है कि अगस्त, 2024 में कोर सेक्टर की वृद्धि दर नकारात्मक स्तर पर पहुंच गयी थी और सालाना स्तर पर आठ में से सिर्फ दो क्षेत्रों की वृद्धि दर सकारात्मक थी. अगस्त में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर भी 15 महीने के शिखर पर पहुंच गयी. अगस्त में ही भारतीय निर्यात भी 6.7 प्रतिशत बढ़कर 35.1 अरब डॉलर हो गया. जबकि इस अवधि में आयात में 10.12 फीसदी की कमी आयी. त्योहारों का समय होने और जीएसटी में सुधार किये जाने के बाद घरेलू मांग में तेजी आने की उम्मीद है. यानी कुल मिलाकर, उथल-पुथल भरे वैश्विक माहौल में भारतीय अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद आगे भी बनी हुई है.
