अंतरिक्ष में बड़ी उपलब्धि

Doping Scandal: पिछले तीन साल से भारत डोपिंग स्कैंडल का केंद्रबिंदु बनता जा रहा है. इसके हल के लिए सरकार को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने और अल्पकालीन व दीर्घकालीन कदम उठाने की जरूरत है.

By संपादकीय | December 25, 2025 6:35 AM

Bluebird Black Satellite: इसरो ने बुधवार की सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 6,100 किलोग्राम के संचार उपग्रह ब्लूबर्ड ब्लैक, 2 को पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर इतिहास रच दिया है. लिहाजा, प्रधानमंत्री और इसरो के प्रमुख ने इस उपलब्धि की सराहना की है, तो इसे समझा जा सकता है. इसरो द्वारा निचली कक्षा में स्थापित किया गया यह सबसे भारी पेलोड है. यह मिशन इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया और अमेरिका की एएसटी स्पेसमोबाइल के बीच हुए कॉमर्शियल समझौते का हिस्सा है. एएसटी स्पेसमोबाइल पहली और एकमात्र स्पेस बेस्ड सेल्युलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क बना रही है, जो सीधे स्मार्टफोन से जुड़ सकता है.

इसका इस्तेमाल व्यावसायिक और सरकारी, दोनों कामों में किया जा सकता है. जहां तक इसरो की बात है, तो इस मिशन से व्यावसायिक क्षेत्र में उसकी पकड़ मजबूत होगी. इसरो ने इसकी लॉन्चिंग के लिए अपने एलवीएम 3 रॉकेट का इस्तेमाल किया. इसरो अपने इसी लॉन्च व्हीकल के जरिये चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वैश्विक स्तर पर सैटेलाइट इंटरनेट मुहैया कराने वाली-वन वेब के मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुका है. इस रॉकेट ने 2023 में चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा कर इतिहास रचा था, तो वन वेब मिशन के जरिये एलवीएम से दो बार में कुल 72 उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किये गये थे.

अमेरिकी कंपनी का उपग्रह ब्लू बर्ड ब्लॉक 2 एक अगली पीढ़ी की प्रणाली का हिस्सा है, जिससे मोबाइल नेटवर्क बेहतर होगा. इस उपग्रह के जरिये 4जी और 5जी स्मार्टफोन पर सीधे सेल्युलर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी मिलेगी और उपभोक्ता को किसी अतिरिक्त एंटीना या कस्टमाइज्ड हार्डवेयर की जरूरत नहीं पड़ेगी. फिलहाल सेलफोन को 4जी या 5जी नेटवर्क हासिल करने के लिए मोबाइल टावर की जरूरत पड़ती है. लेकिन इस उपग्रह के सफल होने के बाद टावर का काम खत्म हो सकता है और धरती पर कहीं से भी 4जी और 5जी वॉयस कॉल, वीडियो कॉल, मैसेजिंग, स्ट्रीमिंग और डाटा सेवाएं उपलब्ध होंगी.

इससे ग्रामीण और दूरदराज वाले इलाकों में डिजिटल कनेक्टिविटी मजबूत होगी. पहाड़ी इलाकों, महासागरों और रेगिस्तानों तक मोबाइल सेवा पहुंच सकेगी और उन क्षेत्रों में 4जी और 5जी नेटवर्क सुविधा पहुंचाना आसान हो जायेगा. तूफान, बाढ़, भूकंप, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जब टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर तबाह हो जाते हैं, तब भी सैटेलाइट नेटवर्क बेहतर रहता है.