पाकिस्तान की चालाकी

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स को पाकिस्तान ने जानकारी दी है कि जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर अपने परिवार के साथ गायब है. टास्क फोर्स ने अक्तूबर में आतंकवादी समूहों पर कार्रवाई के बारे में पाकिस्तान से पूछा था. बरसों से मसूद अजहर को पाकिस्तान में न केवल पनाह मिली हुई है, बल्कि सरकार व सेना […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 17, 2020 7:11 AM
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स को पाकिस्तान ने जानकारी दी है कि जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर अपने परिवार के साथ गायब है. टास्क फोर्स ने अक्तूबर में आतंकवादी समूहों पर कार्रवाई के बारे में पाकिस्तान से पूछा था.
बरसों से मसूद अजहर को पाकिस्तान में न केवल पनाह मिली हुई है, बल्कि सरकार व सेना की शह पर वह लगातार भारत के खिलाफ हमलावर भी रहा है. पुलवामा में सुरक्षाबलों पर हमले की जिम्मेदारी जैश ने ही ली थी. उसके बाद ही सुरक्षा परिषद ने मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित किया था. इस निर्णय से पूर्व चीन लंबे समय तक इस विश्व संस्था में मसूद अजहर का बचाव करता रहा था, लेकिन पुलवामा के बाद भारत के कूटनीतिक दबाव और बालाकोट में हुई सैन्य कार्रवाई से चीन एवं पाकिस्तान के साथ अन्य देशों को भी यह संकेत मिल गया था कि अब भारत अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए किसी भी हद या सरहद को पार कर सकता है.
टास्क फोर्स के कड़े रूख के पीछे भी यह एक अहम वजह मानी जाती है. पाकिस्तान से जवाब-तलब करने से भारत का यह दावा भी पुख्ता हुआ कि दुनिया के अनेक हिस्सों में, खास कर दक्षिण एशिया में चरमपंथी और आतंकवादी घटनाओं के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किये जाने के बावजूद लश्कर-ए-तयब्बा का सरगना हाफिज सईद बरसों से खुलेआम भारत को अस्थिर करने के लिए पैसे जुटाता रहा है और आतंकियों को तैयार करता रहा है.
साल 2008 में मुंबई हमलों की साजिश सईद ने ही रची थी. टास्क फोर्स में जाने से पहले पाकिस्तान ने एक छोटी अदालत से हाफिज सईद को आतंकी गतिविधियों के लिए पैसा मुहैया कराने के लिए 11 साल कैद की सजा दिलवा दी है, पर पहले के मुकदमों का अंजाम देखने के बाद सवाल यह उठता है कि आखिर वह कब तक हिरासत में रखा जा सकेगा. इसी कड़ी में यह हास्यास्पद तर्क भी है कि मसूद अजहर गायब है.
पाकिस्तान ने यह दावा भी किया है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित 16 में से सात की मौत हो चुकी है तथा बचे नौ में से सात ने संयुक्त राष्ट्र से अपने फैसले पर विचार का निवेदन दिया है. यह भी कहा गया है कि पांच हजार से अधिक खातों को बंद किया है तथा 222 आतंकियों को सजा दी गयी है, हालांकि, रिपोर्टों की मानें, तो उनमें से ज्यादातर कुछ ही दिनों में सलाखों से बाहर आ गये थे.
असल में पाकिस्तान आतंकवाद से छुटकारा पाना ही नहीं चाहता है, पर वह टास्क फोर्स की पाबंदी को भी नहीं झेलना चाहता है, क्योंकि तब उसे वित्तीय व कूटनीतिक तौर पर भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इसी से बचने के लिए वह दिखावे के लिए सईद को जेल में डालता है और अजहर को लापता बताता है. यदि दुनिया ने बहुत पहले भारत की शिकायत पर कार्रवाई की होती, तो आज यह नौबत ही नहीं आती.

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