बदहाल है विश्वविद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था

बिहार पौराणिक काल से शिक्षा का मुख्य केंद्र रहा है. नालंदा, तक्षशिला विश्वविद्यालय उनमें से एक है. पहले की अपेक्षा वर्तमान समय में शिक्षा को लेकर जन जागरूकता अवश्य ही बढ़ा है, पर जिस रफ्तार से होनी चाहिए उसमें हर जगह कमी दिखायी पड़ रही है. बिहार में बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय भी उनमें से एक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 15, 2019 5:02 AM
बिहार पौराणिक काल से शिक्षा का मुख्य केंद्र रहा है. नालंदा, तक्षशिला विश्वविद्यालय उनमें से एक है. पहले की अपेक्षा वर्तमान समय में शिक्षा को लेकर जन जागरूकता अवश्य ही बढ़ा है, पर जिस रफ्तार से होनी चाहिए उसमें हर जगह कमी दिखायी पड़ रही है.
बिहार में बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय भी उनमें से एक ऐसा ही विश्वविद्यालय के रूप में उभर कर सामने आ रहा है, जिसकी खराब व्यवस्था के चलते लाखों छात्र-छात्राओं का भविष्य दांव पर लगा रहता है.
इसके कई कारण हैं, कॉलेज का नियमित नहीं चलना, कॉलेज में शिक्षकों की काफी कमी, कॉपी मूल्यांकन में ट्रेंड शिक्षकों का न होना आदि.इस कारण छात्र-छात्राओं को निराशा हाथ लग रहा है, जबकि हर साल कॉलेजों व विश्वविद्यालयों पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. नये भारत के निर्माण के लिए कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को इस तरह की समस्याओं से ऊपर उठना होगा.
नितेश कुमार सिन्हा, जानपुल चौक (मोतिहारी)

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