असम की मानवीय समस्या

माननीय उच्चतम न्यायालय के मॉनिटरिंग में होने वाली एनआरसी ने 40 लाख लोगों को रजिस्टर नहीं किया है. हद की बात यह है कि भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के परिवार वाले भी एनआरसी से बाहर कर दिये गये हैं. असम में नागरिकता के सवाल पर सियासी दलों ने खूब ध्रूवीकरण किया है […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 1, 2018 11:45 PM
माननीय उच्चतम न्यायालय के मॉनिटरिंग में होने वाली एनआरसी ने 40 लाख लोगों को रजिस्टर नहीं किया है. हद की बात यह है कि भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के परिवार वाले भी एनआरसी से बाहर कर दिये गये हैं.
असम में नागरिकता के सवाल पर सियासी दलों ने खूब ध्रूवीकरण किया है और बंगाली भाषित अल्पसंख्यकों के लिए समस्याएं पैदा की है. समाचार पत्रों से यह भी सूचनाएं मिल रही हैं कि हजारों नागरिकों के कागजात को ठीक से देखा भी नहीं गया है और उन्हें एनआरसी से बाहर रखा गया है.
हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया है कि 40 लाख लोगों को दोबारा अपनी नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा, लेकिन जिस तरह से रूलिंग पार्टी के प्रवक्ता उन 40 लाख लोगों को घुसपैठिया या बांग्लादेशी कह रहे हैं, वह सही नहीं है. माननीय उच्चतम न्यायालय को भी यह देखना होगा कि क्या आप 40 लाख की आबादी को बेघर होने देना चाहेंगे.
फरहान सुंबुल, डोरंडा, रांची

Next Article

Exit mobile version