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रांची : इरेजर और डायल्यूटर के नशे में जकड़ती जा रही मासूमों की जिंदगी

सदर थाना पुलिस की कार्रवाई में सामने आया खतरनाक सच, प्रतिबंधित न होने के कारण नहीं हो रही कार्रवाई राशन व स्टेशनरी दुकानों में बिना रुकावट होती है इरेजर और डायल्यूटर की बिक्री इन दोनों के उपयोग से गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं युवा रांची : स्कूल और कॉलेज में जाने वाले छात्र […]

  • सदर थाना पुलिस की कार्रवाई में सामने आया खतरनाक सच, प्रतिबंधित न होने के कारण नहीं हो रही कार्रवाई
  • राशन व स्टेशनरी दुकानों में बिना रुकावट होती है इरेजर और डायल्यूटर की बिक्री
  • इन दोनों के उपयोग से गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं युवा
रांची : स्कूल और कॉलेज में जाने वाले छात्र लिखी हुई चीजों को मिटाने के लिए इरेजर (व्हाइटनर) और डायल्यूटर (थिनर) का उपयोग करते हैं. लेकिन अब वही इरेजर व डायल्यूटर का उपयोग वे नशे के लिए कर रहे हैं.
इससे बच्चे मानसिक रूप से रोगी बनाने के साथ ही गंभीर रोग से ग्रसित हो रहे हैं. इन सबके बावजूद इरेजर और डायल्यूटर बेचने वालों पर चाहकर भी प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं की सकता. इसकी मुख्य वजह है इरेजर व डायल्यूटर का प्रतिबंधित नहीं होना.
बीते दिनों सदर थाना प्रभारी वैंकटेश कुमार को सूचना मिली की उनके क्षेत्र के एक राशन दुकानदार द्वारा छोटे बच्चों को इरेजर व डायल्यूटर बेचा जाता है, जिसका उपयोग बच्चे नशे के लिए करते हैं. इसके बाद सदर पुलिस की टीम ने उक्त दुकान में छापा मारा और भारी मात्रा में इरेजर व डायल्यूटर बरामद किया. इस बाबत जब पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग के ड्रग अधिकारी से संपर्क किया, तो उन्होंने यह कबूल किया कि बच्चे इरेजर व डायल्यूटर का इस्तेमाल नशा के लिए करते हैं. लेकिन, दोनों ही चीजें राज्य में प्रतिबंधित नहीं हैं. इसलिए चाहकर भी इरेजर व डायल्यूटर बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती. बता दें कि राजधानी के हर थाना क्षेत्र में नौनिहाल इरेजर व डायल्यूटर का इस्तेमाल नशा के तौर पर करते हैं.
सुखदेवनगर थाना क्षेत्र के न्यू मधुकम में तो तय कीमत से कई गुना ज्यादा दर पर बच्चों को इरेजर व डायल्यूटर बेचा जाता है. इसके अलावा फेवीक्विक, डेंडराइट, एरलडाइट आदि का उपयोग भी बच्चे नशा के तौर पर राजधानी में तेजी से कर रहे हैं. यह गंभीर स्थिति की ओर बढ़ रहा है. बता दें कि खासी के लिए पहले कोरेक्स दवा दुकानों में आसानी से मिल जाती थी, जिसमें अल्कोहल का मात्रा होता था. इसका उपयोग भी छात्र और युवा काफी करते थे. लेकिन, इस पर प्रतिबंध के बाद इसकी बिक्री अवैध घोषित की गयी है.
बच्चों को आसानी से मिल जाता है इरेजर और डायल्यूटर
स्कूलों में पढ़ रहे कुछ बच्चे नशा करने के लिए स्टेशनरी की दुकानों से इरेजर व डायल्यूटर खरीदते हैं. जबकि नियम के मुताबिक 18 साल से कम उम्र होने के बच्चों को शराब या कोई दूसरा नशीला पदार्थ नहीं बेचा जाना चाहिए. बावजूद इसके बच्चों को आसानी से इरेजर व डायल्यूटर आसानी से मिल जाता है. डायल्यूटर को सूंघकर या पीकर बच्चे नशा करते हैं.
क्या होता है व्हाइटनर में
व्हाइटनर पॉलीवायनिल क्लोराइड (पीवीसी) का एक बहुलक है. पीवीसी पानी में घुलनशील नहीं होता. इसे डायलूट (घोलने) करने के लिए एल्कोहल बेस्ड द्रव की जरूरत होती है. अल्कोहल नशा करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है.
क्या कहते हैं जानकार
अनियमित घनत्व वाला अल्कोहलिक द्रव तंत्रिका तंत्र को सीधा प्रभावित करता है. कम उम्र के बच्चे इसका सेवन से कोमा में भी जा सकते हैं.
इरेजर सूंघने से श्वसन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है. नासिका व फेंफड़ों में एलर्जी हो सकती है. रासायनिक प्रभाव के कारण भीतरी हिस्सों में जख्म भी संभव है.
डायल्यूटर को पीने से ग्रसनी, अमाश्य व लिवर प्रभावित हो सकते हैं, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है

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