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मध्य प्रदेश : डेढ़ दशक में इन 14 सीटों पर नहीं जीती कांग्रेस, दो सीटों पर भाजपा, कांग्रेस में परिवार को लेकर कवायद

पांच दशक से लोस चुनाव में भाजपा-कांग्रेस रहीं हैं आमने-सामने राज्य में लोकसभा की 29 सीटें, 13 पर बदलते रहे हैं सांसद भोपाल : मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से 14 सीटें ऐसी हैं, जिन पर पिछले डेढ़ दशक से कांग्रेस जीत नहीं पायी है, जबकि भाजपा केवल दो सीटों पर जीत […]

पांच दशक से लोस चुनाव में भाजपा-कांग्रेस रहीं हैं आमने-सामने
राज्य में लोकसभा की 29 सीटें, 13 पर बदलते रहे हैं सांसद
भोपाल : मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से 14 सीटें ऐसी हैं, जिन पर पिछले डेढ़ दशक से कांग्रेस जीत नहीं पायी है, जबकि भाजपा केवल दो सीटों पर जीत दर्ज करने में नाकाम रही है. वहीं, 13 सीटें ऐसी हैं, जो कभी भाजपा की झोली में रहीं, तो कभी कांग्रेस के पास आयीं.
गुना एवं छिंदवाड़ा संसदीय सीटें कांग्रेस की गढ़ मानी जाती हैं, जिन पर पिछले डेढ़ दशक से भाजपा जीत नहीं पायी.
गुना सीट पर कांग्रेस महासचिव एवं सिंधिया राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्ष 2002 से लगातार चौथी बार जीत चुके हैं. छिंदवाड़ा सीट से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ 1998 से लगातार छह बार सांसद बन चुके हैं.
कमलनाथ इस सीट से अब तक कुल 10 बार सांसद रहे चुके हैं. जिन 14 लोकसभा सीटों को पिछले डेढ़ दशक से कांग्रेस जीत नहीं पायी है, उनमें भोपाल, इंदौर, विदिशा, मुरैना, भिंड, सागर, टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, जबलपुर, बालाघाट, बैतूल एवं रीवा शामिल हैं. इन 14 सीटों में से रीवा को छोड़कर भाजपा पिछले 15 साल से लगातार जीतती आ रही है. विंध्य क्षेत्र की रीवां सीट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के देवराज सिंह पटेल को जीत मिली थी, जबकि 2004 एवं 2014 में भाजपा इस सीट पर विजयी रही थी. 2014 में देश में चल रही मोदी लहर के चलते मध्य प्रदेश से भाजपा को 29 में से 27 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस केवल दो सीटें ही जीत पायी थी.
नौ सीटें भाजपा का गढ़
प्रदेश की नौ सीटें भाजपा का गढ़ कहलाती हैं. इनमें भोपाल, इंदौर, विदिशा, भिंड एवं दमोह, ये पांच सीटें भी शामिल हैं. इस सीटों पर भाजपा का 1989 से कब्जा बरकरार है, जबकि चार सीटों मुरैना, सागर, जबलपुर एवं बैतूल में पार्टी 1996 से अब तक नहीं हारी है.
ये सीटें बदलती रहीं हैं चुनाव के नतीजे
प्रदेश की बाकी 13 सीटें ऐसी हैं, जिन पर इन 15 सालों में कभी भाजपा, तो कभी कांग्रेस जीती है. इनमें ग्वालियर, झाबुआ, शहडोल, मंडला, होशंगाबाद, राजगढ़, देवास, उज्जैन, मंदसौर, धार, सीधी, खरगौन एवं खंडवा सीटें शामिल हैं.
भाजपा की चुनौतियां इस बार कम नहीं
मध्य प्रदेश भाजपा का अब भी गढ़ मजबूत है. यह बात दीगर है कि पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव भाजपा सत्ता से बेदखल हो गयी थी और कांग्रेस ने सरकार में वापसी की, मगर वोट शेयर के लिहाज से भाजपा राज्य में बहुत कमजोर हुई है, ऐसा नहीं है.
हालांकि विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद भाजपा की आंतरिक स्थिति में बड़ा बदलाव आया है, जिसका असर इस लोकसभा चुनाव में देखेगा. लगातार पंद्रह सालों तक प्रदेश की सत्ता पर अखंड राज करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मजबूत गोलबंदी हो रही है. शिवराज पत्नी साधना सिंह के लिए टिकट को लेकर जद्दोजहद कर रहे हैं. साधना सिंह के नाम का खासा विरोध है.
कांग्रेस में परिवार को लेकर कवायद
कांग्रेस का दारोमदार कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर है. कांग्रेस के पास दिग्विजय सिंह जैसे माहिर खिलाड़ी भी है, जिनका पूरे प्रदेश में अपना आधार और पकड़ है. सिंह भाेपाल से कांग्रेस के उम्मीदवार बनने जा रहे हैं. प्रदेश में इस बार गुटबाजी भी खासी है. हालांकि यह गुटबाजी भाजपा में भी है. दोनों दलों में परिजनों को टिकट दिलाने की कोशिशें भी चल रही हैं.
कांग्रेस विस चुनाव परिणाम को दोहराने की कोशिश में
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि राज्य की 29 में से 14 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस द्वारा पिछले डेढ़ दशक में जीत दर्ज नहीं कर पाने को पार्टी ने गंभीरता से लिया है.
इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ देश में चल रही सत्ता विरोधी लहर के चलते हम इस चुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतने की तैयारी कर रहे हैं. हमने पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के मंडल, ब्लॉक एवं जिला स्तर के जमीनी कार्यकर्ताओं से राय ली है कि वे सबसे बढ़िया एवं जिताऊ उम्मीदवार बताएं, ताकि हम उन सीटों से भी विजय हासिल कर सकें, जहां पर कांग्रेस लंबे समय से हार का सामना करती आ रही है.
पार्टी भोपाल, इंदौर एवं विदिशा सीटों पर पार्टी निश्चित रूप से वरिष्ठ नेताओं को उतारेगी. वहीं, प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि भाजपा इस बार प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतने का प्रयास करेगी. ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं कमलनाथ की क्रमश: गुना एवं छिंदवाड़ा सीटों पर हम मजबूत प्रत्याशी उतारेंगे.
मप्र में लोकसभा चुनावों के परिणाम
वर्ष कुल सीटेंं कांग्रेस भाजपा अन्य
1951 29 28 – 01
1957 35 34 – 01
1962 36 24 – 12
1967 37 25 – 12
1971 37 21 – 16
1977 40 01 – 39
1980 40 35 – 05
1984 40 40 – 00
1989 38 08 27 03
1991 40 27 12 01
1996 40 08 27 05
1998 40 10 30 00
1999 40 11 29 00
2004 29 04 25 00
2009 29 12 16 01
2014 29 02 27 00

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