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वारेन बफेट के उत्तराधिकारी हो सकते हैं भारतीय मूल के अजीत जैन, IIT खड़गपुर के रहे हैं छात्र

कौन होगा वारेन बफेट का उत्तराधिकारी? इस सवाल का जवाब आज पूरी दुनिया जानना चाहती है. बफेट ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि कई निवेशक इस बात का अनुमान लगा चुके हैं कि बर्कशायर हाथवे इंक में उनकी जगह कौन लेगा. बफेट के उत्तराधिकारी के रूप में जिनका नाम सामने आ रहा […]

कौन होगा वारेन बफेट का उत्तराधिकारी? इस सवाल का जवाब आज पूरी दुनिया जानना चाहती है. बफेट ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि कई निवेशक इस बात का अनुमान लगा चुके हैं कि बर्कशायर हाथवे इंक में उनकी जगह कौन लेगा. बफेट के उत्तराधिकारी के रूप में जिनका नाम सामने आ रहा है वे हैं ग्रेगरी एबल और भारतीय मूल के अजीत जैन.

बफेट ने दो सीनियर एक्सक्यूटिव अजीत जैन और ग्रेगरी एबल को कंपनी के बोर्ड आफ डाइरेक्टर्स में शामिल किया है और इन्हें नयी जिम्मेदारियां भी दी हैं. इन दो लोगों में से ही कोई एक कंपनी में वारेन बफेट की जगह लेगा. उन्होंने कल सीएनबीसी के साथ बातचीत में कहा कि उत्तराधिकार के लिए यह जरूरी है और यह उस आंदोलन का हिस्सा है. ग्रेगरी एबल और अजीत जैन को पदोन्नति देना उसी का हिस्सा है.
बर्कशियर हैथवे एनर्जी के चीफ एग्जिक्युटिव 55 वर्षीय एबल को नॉन-इंश्योरेंस बिजनस ऑपरेशनों के लिए बर्कशियर का वाइस चेयरमैन बनाया गया है, वहीं कंपनी के टॉप इंश्योरेंस एग्जिक्यूटिव 66 वर्षीय जैन को इंश्योरेंस ऑपरेशनों का वाइस चेयरमैन बनाया गया है. साथ ही, दोनों को बर्कशियर के बोर्ड में भी शामिल किया गया है. अब कंपनी के डायरेक्टर्स की संख्या 12 से बढ़कर 14 हो गयी है.
इस पदोन्नति के बाद एबल और जैन को कंपनी के प्रारूप में काम करने का ज्यादा अनुभव प्राप्त होगा, वहीं बफेट को खाली समय मिलेगा. बफेट पिछले कुछ दशक से कंपनी को अपनी सेवा दे रहे हैं और उनके सेवाकाल में कई सहयोगी कंपनियां भी उनसे जुड़ी जैसे आटो इंश्योरेंस, बीएनएसएफ रेलवे, फ्रूट आफ द लूम और दि बफेलो न्यूज एंड डेयरी क्वीन. कौन होगा बफेट का उत्तराधिकारी यह सवाल पिछले कुछ सालों से लोगों के लिए मिस्ट्री बना हुआ था. उन्होंने कहा मैं चाहता था कि नये नेता को कंपनी के रैंक से आकर्षित किया जाये, साथ ही वह युवा और घमंड से दूर हो.
जानें कौन हैं अजीत जैन
भारतीय मूल के अजीत जैन 66 वर्ष के हैं और मूलत: ओडिशा राज्य के हैं. उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से बीटेक किया है. वे मैकेनिकल इंजीनियर हैं. उन्होंने 1973 से 1976 तक आईबीएम में काम किया. उसके बाद उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से 1978 में एमबीए किया. फिर वे मैकिन्से एंड कंपनी से जुड़ गए, लेकिन 1980 के दशक के प्रारंभ में भारत लौट आये. लगभग एक महीने के प्रेम संबंध के बाद, उन्होंने अपने माता-पिता द्वारा तय की गयी लड़की से शादी की. उसके बाद वे फिर मैकिन्से के लिए काम करने संयुक्त राज्य अमेरिका चले गये. 1986 में उन्होंने मैकिन्से छोड़ दिया और बफेट के लिए बीमा का काम करने लगे.

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