Waqf Amendment Bill 2025: बाप रे इतना जमीन! भारत के इन 6 बड़े शहरों से 3 गुना ज्यादा है बोर्ड के पास लैंड

Waqf Amendment Bill 2025: देश में वक्फ संपत्तियों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, खासकर वक्फ बिल संशोधन को लेकर. गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि वक्फ बोर्ड के पास 39 लाख एकड़ भूमि है, जो भारतीय सुरक्षा बलों और रेलवे से भी अधिक है. यही नहीं बोर्ड की कुल जमीन देश के 6 प्रमुख शहरों के तीन गुना है.

By Ayush Raj Dwivedi | April 5, 2025 2:16 PM

Waqf Amendment Bill 2025: देश में वक्फ संपत्तियों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, खासकर वक्फ बिल संशोधन को लेकर. गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में जानकारी दी कि भारत की कुल 812 लाख एकड़ भूमि में से 39 लाख एकड़ भूमि वक्फ बोर्ड के अधीन है, जो कुल भूमि का 4.8% है. यह क्षेत्र भारतीय सुरक्षा बलों और रेलवे की कुल भूमि से भी ज्यादा है.

वक्फ संपत्तियां ऐसी होती हैं जो इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ कार्यों के लिए दान की जाती हैं और एक बार वक्फ में दी गई संपत्ति को बेचना या स्थानांतरित करना मना होता है. भारत में वक्फ संपत्तियों का विवाद मुख्य रूप से इस बात पर है कि उन्हें वक्फ के रूप में कब और कैसे घोषित किया गया. सरकार का दावा है कि 8.72 लाख वक्फ संपत्तियों में से 4.02 लाख संपत्तियां दीर्घकालिक धार्मिक उपयोग के आधार पर वक्फ घोषित की गई थीं.

शहरक्षेत्रफल (लाख एकड़)
दिल्ली3.60
मुंबई1.50
बेंगलुरु2.20
चेन्नई1.00
हैदराबाद1.70
कोलकाता1.20
पुणे1.275
अहमदाबाद1.31

वक्फ के पास है इतनी जमीन

दिलचस्प बात यह है कि वक्फ बोर्ड के पास जो भूमि है, वह भारत के 13 सबसे बड़े शहरों के कुल क्षेत्रफल से तीन गुना ज्यादा है. जैसे दिल्ली का क्षेत्रफल 3.60 लाख एकड़ है, मुंबई का 1.50 लाख एकड़ है, और बेंगलुरु का 2.20 लाख एकड़ है, जबकि वक्फ बोर्ड के पास 39 लाख एकड़ भूमि है. यह आंकड़ा वक्फ भूमि के महत्व और इसके विवादों को और अधिक जटिल बना रहा है.

विपक्षी दलों ने विधेयक पर जताई है कड़ी आपत्ति

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वक्फ विधेयक पेश करने के लिए भाजपा की आलोचना की है और उस पर देश को बांटने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. सीएम बनर्जी ने संकल्प लिया कि जब “मौजूदा सरकार को हटाकर नई सरकार बनेगी” तो वह विधेयक को निष्प्रभावी करने के लिए संशोधन लाएंगी. संसद में विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों की ओर से कड़ी आपत्ति जताई गई और उन्होंने इसे मुस्लिम विरोधी और असंवैधानिक करार दिया.