प्रधानमंत्री के साथ भारत से चोरी हुई 157 कलाकृतियां की भी हुई वापसी

12वीं शताब्दी में बनी नटराज की सुंदर कांस्य प्रतिमा व 10वीं सदी के डेढ़ मीटर लंबे नक्काशी किए पैनल पर बने सूर्यपुत्र रेवंत सहित कई महत्वपूर्ण कलाकृतियां शामिल हैं. इनमें से कई कलाकृतियों को कई दशक पहले चुराया गया था. इन सभी कलाकृतियों को अमेरिका ने वापस लौटा दिया है.

By PankajKumar Pathak | September 26, 2021 9:04 AM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा खत्म हो गया. इस दौरे से जुड़ी कई अहम बातें, कई बड़ी उपलब्धियां रही जिनमें से एक 157 कलाकृतियां की भारत वापसी भी है. भारत से अवैध रूप से इन्हें अमेरिका ले जाया गया था. 12वीं शताब्दी में बनी नटराज की सुंदर कांस्य प्रतिमा व 10वीं सदी के डेढ़ मीटर लंबे नक्काशी किए पैनल पर बने सूर्यपुत्र रेवंत सहित कई महत्वपूर्ण कलाकृतियां शामिल हैं. इनमें से कई कलाकृतियों को कई दशक पहले चुराया गया था. इन सभी कलाकृतियों को अमेरिका ने वापस लौटा दिया है.

इस यात्रा में अमेरिका सहित क्वाड देशों के साथ कई मुद्दों पर सहमति बनी है. अमेरिका के साथ संस्कृति से जुड़ी चीजों की चोरी, तस्करी रोकने के लिए सहयोग बढ़ाने का फैसला लिया गया है. जो कलाकृतियां भारत लौट रही हैं उनमें अधिकतर 10वीं से 14वीं शताब्दी की हैं, वहीं 45 कृतियां ईसा पूर्व यानी 2000 वर्ष पुरानी हैं. एक कलाकृति तो एक करीब वर्ष 2000 ईसा पूर्व यानी 4000 वर्ष पुरानी है.

इनमें कांसे की प्रतिमाओं में लक्ष्मी, नारायण, बुद्ध, विष्णु, शिव-पार्वती और 24 जैन तीर्थंकर की मुर्तियां प्रमुख रूप से शामिल हैं. कंकलामूर्ति, ब्रह्मी व नंदीकेस जैसे देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी हैं. हिंदू धर्म के चित्रांकनों में त्रि-शीश ब्रह्मा, रथ पर सवार सूर्य, विष्णु और उनके सहचारी, दक्षिणमूर्ति के रूप में शिव, नृत्यशील गणेश प्रमुख हैं. बौद्ध चित्रांकनों में बुद्ध, बोधिसत्व, मंजूश्री, तारा और जैन चित्रांकनों में जैन तीर्थंकर, पदमासन तीर्थंकर, जैन चौबीसी शामिल हैं. सामभंग, ढोल वादन करती महिला मानवाकृतियां भी हैं.

नृत्य के स्वामी नटराज की चारभुजा कांस्य प्रतिमा अभय मुद्रा में बनायी गयी है. शिव एक पांव से अ अपस्मार पुरुष को कुचल रहे हैं. तमिलनाडु में बनी यह प्रतिमा पूर्ण रूप में आनंद तांडव को दर्शाती है. लोहे की खड्ग जिसे पंजाब में निर्मित माना जाता है और सिखों के छठवें गुरु हरगोविंद दास का नाम उत्कीर्ण है.

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यह 18वीं शताब्दी का है. जिसका विशेष महत्व है. 1976 से 2013 तक कुल 13 कलाकृतियां ही भारत लौटाई गईं.2004 से 2014 तक केवल एक कलाकृति लौटी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 157 कलाकृतियां के साथ लौटना एक बड़ी उपलब्धि के रूप में माना जा रहा है.

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