Plastic Waste: शहरों में कचरे की समस्या से निपटने के लिए सड़क निर्माण में हो रहा है कचरे का प्रयोग
शहरी कचरे के निपटान के लिए रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल की सोच को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया. इस कड़ी में ‘प्लास्टिक वेस्ट टू रोड कंस्ट्रक्शन’ एक कारगर पहल साबित हो रही है. केंद्रीय शहरी एवं आवास विकास मंत्रालय की ओर शुरू की गई यह पहल प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन में व्यापक बदलाव लाने का काम कर रही है.
Plastic Waste: देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर व्यापक स्तर पर कार्यक्रम चलाने का काम किया गया. स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों का निर्माण करने के साथ ही शहरी कचरे के प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया. शहरी कचरे के निपटान के लिए रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल की सोच को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया. साथ ही शहरों से हर दिन निकलने वाले कचरे को खत्म करने के लिए कई तरह के नये प्रयोग किए जा रहे हैं. इस कड़ी में ‘प्लास्टिक वेस्ट टू रोड कंस्ट्रक्शन’ एक कारगर पहल साबित हो रही है.
केंद्रीय शहरी एवं आवास विकास मंत्रालय की ओर शुरू की गई यह पहल प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन में व्यापक बदलाव लाने का काम कर रही है. मौजूदा समय में प्लास्टिक कचरे का उपयोग सड़कों के निर्माण में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. सभी शहरी स्थानीय निकायों को बिटुमेन सड़कों के निर्माण के दौरान प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है.
वर्ष 2015 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहरी क्षेत्रों के 50 किलोमीटर के दायरे में राष्ट्रीय राजमार्ग के नवीनीकरण के लिए बिटुमिनस मिक्स में प्लास्टिक कचरे के उपयोग को अनिवार्य कर दिया. इसके लिए देश भर के नगर निगम क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाई और एमआरएफ केंद्र स्थापित किए गए, ताकि सड़क निर्माण के लिए निरंतर, संसाधित किए गए प्लास्टिक की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके.
सड़क निर्माण में कचरे का प्रयोग पर्यावरण के अनुकूल
मंत्रालय के प्रयास और समर्थन से सभी नगर निगम सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं. इस तकनीक में तमिलनाडु सबसे आगे है. तमिलनाडु में कचरे का उपयोग कर लगभग 17735 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया है. कर्नाटक के बेंगलुरु में 2000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया गया है. असम के गुवाहाटी में 2019 में ही मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज के पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक सड़क 1.24 मीट्रिक टन वेस्ट प्लास्टिक का उपयोग करके बनाई गयी.
उत्तर प्रदेश में लखनऊ के गोमती नगर में भी ऐसी सड़कें बनाई गईं और गाजियाबाद में भी प्लास्टिक वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट लगाए गए हैं.
दिल्ली, एनसीआर क्षेत्र में धौला कुआं से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पोर्ट रोड और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे सहित कई राष्ट्रीय राजमार्गों में प्लास्टिक कचरे का उपयोग हुआ है. मौजूदा समय में कई राज्यों में शहरों और नगर निगम क्षेत्रों में प्लास्टिक के इस्तेमाल से सड़क निर्माण किया जा चुका है और अधिक से प्लास्टिक वेस्ट खपाने का काम हो रहा है. इस मामले में तमिलनाडु के चेन्नई, महाराष्ट्र के पुणे, कर्नाटक में बेंगलुरु, झारखंड में जमशेदपुर, गुजरात में सूरत, उत्तर प्रदेश में लखनऊ व गाजियाबाद, असम का गुवाहाटी आगे है.
