OSHO: Rolls Royce के काफिले में चलने वाले आचार्य रजनीश, ‘सेक्स’ को कहा- समाधि का मार्ग

OSHO: देश के साथ ही विदेशों में ओशो के हजारों शिष्य हैं. 11 दिसंबर 1931 को मध्यप्रदेश में पैदा हुए चंद्रमोहन जैन आगे चलकर ओशो और आचार्य रजनीश के नाम से प्रसिद्ध हो गए. बचपन से खुद की रूचि दर्शनशास्त्र में बताने वाले ओशो की जिंदगी हमेशा विवादित रही.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2020 11:03 PM

देश के साथ विदेशों में ओशो के हजारों शिष्य हैं. 11 दिसंबर 1931 को मध्यप्रदेश में पैदा हुए चंद्रमोहन जैन आगे चलकर ओशो (आचार्य रजनीश) के नाम से प्रसिद्ध हुए. बचपन से खुद की रूचि दर्शनशास्त्र में बताने वाले ओशो की जिंदगी हमेशा विवादित रही. उनके शिष्यों में उस दौर के बॉलीवुड सुपरस्टार विनोद खन्ना भी शामिल रहे. आज भी ओशो की किताबें खूब बिकती हैं. सवाल यह है क्या ओशो संन्यासी थे?

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विवादों के ‘आचार्य रजनीश उर्फ ओशो’

19 जनवरी 1990 को पूना स्थित आश्रम में शाम 5 बजे के ओशो की मृत्यु हो गई. इसके पहले जितने उनके शिष्य बने, उससे कहीं ज्यादा विवाद भी उनसे जुड़े. दुनियाभर के साहित्यकार, फिल्मकार, एक्टर, सिंगर, राजनेता उनसे प्रभावित थे. दावा किया जाता है ओशो ने 1.50 लाख किताबें पढ़ी थी. उन्होंने कई किताबें भी लिखी. ओशो की किताबों में सेक्स पर बेबाक सवाल-जवाब पढ़ने को मिलते हैं. संभोग से समाधि तक किताब में ओशो ने सेक्स को समाधि का जरिया बताया था. किताब पर विवाद भी हुए.

अमेरिका में भव्य आश्रम और लाइफस्टाइल

ओशो की जिंदगी पर बहुत सारी बातें की जाती हैं. 1981 से 1985 तक अमेरिका में रहने वाले ओशो के शिष्यों ने ओरेगॉन में 64,000 एकड़ जमीन खरीदकर उनको रहने के लिए बुलाया था. आश्रम में करीब 5,000 लोग रहते थे. ओशो के काफिले में महंगी गाड़ियां भी शामिल होती थीं. ओशो को रॉल्स रॉयस गाड़ी पसंद थी. वो महंगी घड़ियां और डिजाइनर कपड़ों को लेकर चर्चा में रहते थे. आश्रम का रजनीशपुरम नाम था. इन सबके बीच ओशो पर अमेरिका की रोनाल्ड रीगन सरकार की सख्ती भी दिखी.

दबाव में 21 देशों का ओशो को शरण से इंकार

अक्टूबर 1985 में अमेरिकी प्रशासन ने ओशो पर अप्रवास कानूनों के उल्लंघन के 35 आरोप लगाए थे. ओशो को हिरासत में लिया गया. इसी दौरान उन्हें धीमी असर वाला जहर देने की बातें भी की गई. जुर्माने के बाद ओशो को पांच साल वापस नहीं लौटने के निर्देश दिए गए. अमेरिका के दबाव में ओशो को शरण देने से 21 देशों ने इंकार कर दिया था. भारत ने भी उनकी वापसी पर कई शर्त लगा दी थी. इन सबके बीच ओशो ने नेपाल में शरण ली. आखिरकार साल 1987 में ओशो पूना स्थित अपने आश्रम में लौट गए.

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पूना का आश्रम, आचार्य रजनीश और प्रवचन…

पूना के आश्रम में आचार्य रजनीश ने शिष्यों को प्रवचन दिए. कई किताबें लिखी. उनके साथ कई विवाद भी जुड़ते गए. 1989 तक ओशो 10,000 शिष्यों को प्रवचन देते रहे. उन्होंने ध्यान की नई पद्धति विकसित की थी. दावा किया जाता है कि अमेरिका में दिए गए धीमे जहर के असर के कारण ओशो के शरीर ने काम करना बंद कर दिया था. उनके कई अंगों पर जहर का असर हुआ था. 19 जनवरी 1990 को ओशो ने देहत्याग दिया. आज भी ओशो के लाखों चाहने वाले हैं. आज भी ओशो के साथ कई विवाद जुड़े हैं.

Posted : Abhishek.

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