Naxalism: सुरक्षा और विकास की बहुआयामी रणनीति से नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आ रही है कमी
नक्सलियों के आर्थिक तंत्र पर नकेल लगाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) में नक्सल-विरोधी विशेष विभाग की स्थापना की गयी. इस विभाग ने 108 मामलों की जांच की और 87 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए, जिससे त्वरित अभियोजन के जरिए नक्सली संगठन को कमजोर करने में मदद मिली है.
Naxalism: केंद्र सरकार ने देश को अगले साल मार्च तक नक्सलवाद मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. नक्सलवाद मुक्त अभियान के लिए कई स्तर पर अभियान चलाए जा रहे हैं और इसका जमीन पर सकारात्मक असर भी दिख रहा है. नक्सलवाद के खात्मे के लिए सरकार बहुआयामी योजना पर काम कर रही है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास के साथ सुरक्षा तंत्र को सशक्त बनाने का काम किया गया है.
सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि वर्ष 2014 में देश में सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 36 से घटकर मौजूदा समय में 3 रह गयी है. साथ ही वर्ष 2014 में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या देश में 126 थी, जो मौजूदा समय में कम होकर 11 रह गयी है.
अगर किलेबंद पुलिस स्टेशन की बात करें तो वर्ष 2014 में ऐसे पुलिस स्टेशन की संख्या सिर्फ 66 थी जो अब बढ़कर 586 हो गयी है.
केंद्र सरकार की ओर से पिछले 11 साल में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा संबंधी व्यय के मद में 3331 करोड़ रुपये जारी किया गया, जो वर्ष 2004-2014 के मुकाबले 155 फीसदी अधिक है. विशेष ढांचागत योजना (एसआईएस) के तहत केंद्र सरकार ने राज्य विशेष बल और विशेष खुफिया शाखा को मजबूत करने के लिए 371 करोड़ रुपए और 246 किलेबंद पुलिस स्टेशनों के लिए 620 करोड़ रुपए स्वीकृत किए.
इस योजना को वर्ष 2026 तक बढ़ाया गया है और विस्तारित अवधि में इस एवज में 610 करोड़ रुपए और 56 अतिरिक्त एफपीएस के लिए 140 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है. पिछले 8 साल में 2017-18 के बाद 1757 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और अब तक केंद्र सरकार द्वारा 445 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं.
बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क और मोबाइल कनेक्टिविटी का विस्तार करके बुनियादी ढांचे को काफी मजबूत किया है, जिससे पहुंच, सुरक्षा प्रक्रिया और सामाजिक-आर्थिक एकीकरण में सुधार हुआ है. मई 2014 से अगस्त 2025 तक केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 12000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया है, जबकि कुल 17589 किलोमीटर की परियोजनाओं को 20815 करोड़ रुपए की लागत से स्वीकृत किया गया है, जिससे दुर्गम क्षेत्रों में हर मौसम में संपर्क और आवागमन सुनिश्चित हो सके.
इसके अलावा पहले चरण में 4080 करोड़ रुपए की लागत से 2,343 (2जी) मोबाइल टावर लगाए गए. दूसरे चरण में 2210 करोड़ रुपए के निवेश से 2542 टावरों को मंजूरी दी गई, जिनमें से 1154 टावर पहले ही लगाए जा चुके हैं. इसके अलावा आकांक्षी जिलों और 4जी सेचुरेशन योजनाओं के तहत 8527 (4जी) टावरों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से क्रमशः 2596 और 2761 टावर काम कर रहे हैं.
केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित जिलों में 1804 बैंक शाखाएं, 1321 एटीएम और 37850 बैंकिंग संवाददाता स्थापित करके वित्तीय समावेशन सुनिश्चित किया है. इसके अलावा 90 जिलों में 5899 डाकघर खोले गए, जिनकी कवरेज हर 5 किलोमीटर पर हो गयी है.
नक्सली फंडिंग पर कसी नकेल
नक्सलियों के आर्थिक तंत्र पर नकेल लगाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) में नक्सल-विरोधी विशेष विभाग की स्थापना की गयी. इस विभाग ने 108 मामलों की जांच की और 87 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए, जिससे त्वरित अभियोजन के जरिए नक्सली संगठन को कमजोर करने में मदद मिली है.
एनआईए के इस विशेष विभाग ने 40 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की. इस दौरान राज्य के संगठन की ओर से भी 40 करोड़ रुपये की संपत्ति और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से 12 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने का काम किया गया.
सुरक्षा और जांच एजेंसियों की सख्ती के कारण नक्सली संगठनों की होने वाली आय के स्रोत में कमी आयी. इसके कारण भी नक्सली संगठन कमजोर हुए है. साथ ही नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए स्थानीय लोगों को भागीदार बनाने का काम किया गया.
वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने 1143 रंगरूटों से युक्त बस्तरिया बटालियन का गठन किया, जिसमें छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक प्रभावित जिलों बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा के 400 स्थानीय युवा भी शामिल थे, जिससे नक्सलवाद के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा बलों की उपस्थिति को बढ़ाने का काम किया.
