जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कश्मीरी पंडितों को पहली बार मिलेगा आरक्षण, परिसीमन आयोग ने की सिफारिश
परिसीमन आयोग की ओर से गुरुवार को जो रिपोर्ट पेश की गई है, उसमें आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या में बढ़ोतरी करने के साथ ही कश्मीरी पंडितों और अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया है.
Delimitation of J&K : जम्मू-कश्मीर के परिसीमन का काम पूरा हो गया है. जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की ओर से रिपोर्ट सार्वजनिक करने के बाद घाटी समेत पूरे देश का सियासी माहौल एक बार फिर गरमा गया है. परिसीमन आयोग की ओर से रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने के बाद पीडीपी की नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने तो यहां तक कहा दिया कि उन्हें यह परिसीमन मंजूर नहीं है, क्योंकि इससे पूरी तरह से भाजपा का विस्तार होगा और जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों में कटौती होगी. लेकिन, परिसीमन आयोग ने पहली बार राज्य के विधानसभा चुनाव में कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने की सिफारिश की है. परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़ा बदलाव आने के आसार दिखाई दे रहे हैं.
विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 47
परिसीमन आयोग की ओर से गुरुवार को जो रिपोर्ट पेश की गई है, उसमें आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या में बढ़ोतरी करने के साथ ही कश्मीरी पंडितों और अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया है. जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने कश्मीर घाटी के करीब-करीब सभी विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित किया है और सीट की संख्या 47 कर दी है, जो पहले 46 थी. तीन सदस्यीय आयोग की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, घाटी में बढ़ाई जाने वाली एकमात्र विधानसभा सीट कुपवाड़ा जिले में है और इस जिले में छह सीट होंगी.
अनंतनाग में सीटों की संख्या बढ़ी और कुलगाम में घटी
परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग एकमात्र ऐसा जिला है, जिसे एक विधानसभा सीट मिली है और इसमें अब सात निर्वाचन क्षेत्र होंगे. इस जिले में पहले छह विधानसभा सीटें थीं, जिनकी संख्या सात हो गई. वहीं, पड़ोसी कुलगाम जिले में यह संख्या घटकर तीन हो गई है.
कई विधानसभा सीटों के बदल गए नाम
आयोग ने जनता की नाराजगी को देखते हुए श्रीनगर जिले के हब्बा कदल निर्वाचन क्षेत्र को बरकरार रखा है, लेकिन उसने अमीरा कदल, सोनावर और बटमालू निर्वाचन क्षेत्रों के नाम हटा दिए हैं. अमीरा कदल का नाम कश्मीर के 18वीं सदी के अफगान गवर्नर अमीर खान के नाम पर रखा गया था, जबकि बटमालू का नाम एक सूफी संत के नाम पर था. उनकी दरगाह राज्य सचिवालय के पास ही स्थित है.
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अमीरा कदल और सोनावर को मिलाकर बनी नई सीट
परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, अमीरा कदल और सोनावर को मिलाकर एक नया निर्वाचन क्षेत्र लाल चौक बनाया गया है. वहीं, पुराने अमीरा कदल निर्वाचन क्षेत्र की चनापोरा तहसील से काट कर एक नया निर्वाचन क्षेत्र बनाया गया है. बारामूला जिले में तंगमर्ग निर्वाचन क्षेत्र का नाम बदलकर गुलमर्ग कर दिया गया है.
