Gujarat Riots Case: तीस्ता सीतलवाड़ 69 दिनों बाद जेल से बाहर, 2002 गुजरात मामले में लगा है गंभीर आरोप

तीस्ता सीतलवाड़ 26 जून को गिरफ्तारी के बाद से ही यहां साबरमती केंद्रीय कारागार में बंद थीं. उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार जमानत की औपचारिकताओं के लिए सीतलवाड़ को सत्र न्यायाधीश वी ए राणा के समक्ष पेश किया गया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 3, 2022 9:29 PM

सुप्रीम कोर्ट की ओर से अंतरिम जमानत मंजूर किए जाने के एक दिन बाद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को शनिवार को जेल से रिहा कर दिया गया. शीर्ष अदालत ने 2002 के गुजरात दंगों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अंतरिम जमानत शुक्रवार को मंजूर कर ली थी.

26 जून को तीस्ता को पुलिस ने किया था गिरफ्तार

तीस्ता सीतलवाड़ 26 जून को गिरफ्तारी के बाद से ही यहां साबरमती केंद्रीय कारागार में बंद थीं. उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार जमानत की औपचारिकताओं के लिए सीतलवाड़ को सत्र न्यायाधीश वी ए राणा के समक्ष पेश किया गया था. विशेष लोक अभियोजक अमित पटेल ने कहा, सत्र अदालत ने शीर्ष अदालत द्वारा लगाई गई शर्तों के अलावा दो अन्य शर्तें भी लगाईं. सत्र अदालत ने आरोपी सीतलवाड़ को 25,000 रुपये का निजी मुचलका भरने और उसकी पूर्व अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ने का आदेश दिया.

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क्या है तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप

मालूम हो 27 फरवरी 2002 को गोधरा के निकट साबरमती एक्सप्रेस का एक कोच जलाये जाने की घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवक मारे गये थे, जिसके बाद गुजरात में दंगे फैल गये थे. अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 30 जुलाई को इस मामले में सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनकी रिहाई से गलत काम करने वालों को संदेश जाएगा कि एक व्यक्ति आरोप भी लगा सकता है और उसका दोष माफ भी किया जा सकता है. सीतलवाड़ और श्रीकुमार पर गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने का आरोप लगाया गया है.

तीस्ता सीतलवाड़ सहित तीन लोगों को किया गया गिरफ्तार

तीस्ता सीतलवाड़ सहित इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. श्रीकुमार पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट इस मामले में आरोपी हैं. भारतीय दंड संहिता की धारा 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) और 194 (फांसी की सजा वाले अपराधों के लिए सजा हासिल करने के इरादे से झूठे सबूत गढ़ना) के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जून में अहमदाबाद शहर की अपराध शाखा द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया था. शीर्ष अदालत द्वारा जाफरी की याचिका खारिज किये जाने के कुछ ही दिनों के भीतर मुंबई के सीतलवाड़ और श्रीकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया था.

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