कोयला घोटाला: सीबीआई ने एम के बिरला मामले में संशोधित क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की
नयी दिल्ली : कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में सीबीआई ने आज एक विशेष अदालत में ‘विस्तृत एवं व्यापक’ संशोधित अंतिम क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की. इस मामले में शीर्ष उद्योगपति कुमार मंगलम बिरला, पूर्व कोयला सचिव पी सी पारख और अन्य कथित तौर पर शामिल हैं.... एजेंसी ने यह रिपोर्ट सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत […]
नयी दिल्ली : कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में सीबीआई ने आज एक विशेष अदालत में ‘विस्तृत एवं व्यापक’ संशोधित अंतिम क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की. इस मामले में शीर्ष उद्योगपति कुमार मंगलम बिरला, पूर्व कोयला सचिव पी सी पारख और अन्य कथित तौर पर शामिल हैं.
एजेंसी ने यह रिपोर्ट सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर के समक्ष दाखिल की और कहा कि इसमें, मामले में की जा रही जांच की विस्तृत रिपोर्ट है. न्यायाधीश ने कहा ‘‘जांच अधिकारी डीएसपी के एल मोजेस ने संशोधित अंतिम रिपोर्ट दाखिल की जो कि विस्तृत एवं व्यापक बताई जाती है. अंतिम रिपोर्ट क्लोजर रिपोर्ट की तरह है. विशेष लोक अभियोजक आर एस चीमा ने जिरह के लिए और समय मांगा है. मामले की सुनवाई 10 नवंबर को होगी.’’
सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि पूर्व में मिले आदेश के अनुसार, वह मामले से संबंधित सभी दस्तावेज अदालत के समक्ष दाखिल कर रहे हैं. सीबीआई ने कुछ अतिरिक्त दस्तावेज भी अदालत के समक्ष दाखिल किए जो जांच के दौरान जब्त किए गए थे. न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान सीबीआई से पूछा कि अगर वह एजेंसी द्वारा दाखिल अंतिम रिपोर्ट का संज्ञान लेंगे तो वह :एजेंसी: गवाहों की सूची और दस्तावेज अदालत को कैसे मुहैया कराएगी.
इस पर चीमा ने कहा ‘‘हम ऐहतियात बरत रहे हैं’’ और एजेंसी देखेगी कि प्रत्येक दस्तावेज अदालत में दाखिल किया जाए. चीमा ने अदालत में यह भी कहा कि आज दाखिल की गई अंतिम संशोधित क्लोजर रिपोर्ट में, जांच के दौरान एजेंसी द्वारा एकत्र सब कुछ है. अदालत ने 12 सितंबर को सीबीआई से कहा था कि मामले को बंद करने की ऐसी क्या जल्दी थी जिसमें बिरला, पारख और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
इस मामले में सीबीआई ने 28 अगस्त को एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी. सीबीआई ने पिछले साल अक्तूबर में बिरला, पारख और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि पारख ने हिंडालको को कोयला ब्लॉक आवंटित करने का अपना निर्णय ‘‘बिना किसी जायज आधार और बिना परिस्थितियों में बदलाव के’’ कुछ ही माह में पलट दिया था और ‘‘अनावश्यक कृपा’’ दिखाई थी. यह प्राथमिकी वर्ष 2005 में तालाबीरा दो और तीन कोयला ब्लॉकों के आवंटन से संबंधित थी.
सीबीआई ने बिरला, पारख और हिंडाल्को के अन्य अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र तथा सरकारी अधिकारियों के आपराधिक कदाचार सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. प्राथमिकी में जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि पारख की अध्यक्षता में जांच समिति की 25 वीं बैठक के दौरान हिंडाल्को और इंदल इंडस्टरीज के तालाबीरा दो और तीन कोयला ब्लाकों में खनन के लिए दिए गए आवेदन ‘‘जायज कारण बताते हुए’’ खारिज कर दिए गए थे.
