अवनी चतुर्वेदी : भारत की पहली फाइटर पाइलट बेटी की जिंदगी की क्या है कहानी?

नयी दिल्ली : इंडियन एयरफोर्स की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी ने अकेले फाइटर प्लेन उड़ाकर इतिहास रच दिया है. वह फाइटर प्लेन को अकेले उड़ाने वाली देश की पहली महिला फाइटर पायलट बन गयी हैं. मध्यप्रदेश में जन्मी देश की इस जांबाज बेटी ने का जन्म 27 अक्तूबर, 1993 को हुआ था. उनके पिता दिनकर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 22, 2018 12:19 PM

नयी दिल्ली : इंडियन एयरफोर्स की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी ने अकेले फाइटर प्लेन उड़ाकर इतिहास रच दिया है. वह फाइटर प्लेन को अकेले उड़ाने वाली देश की पहली महिला फाइटर पायलट बन गयी हैं. मध्यप्रदेश में जन्मी देश की इस जांबाज बेटी ने का जन्म 27 अक्तूबर, 1993 को हुआ था. उनके पिता दिनकर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं. मां हाउसवाइफऔर बड़े भाई आर्मी ऑफिसर हैं.

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मूलत: मध्यप्रदेश के रीवा जिले की रहने वाली अवनी की स्कूली शिक्षा मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के एक छोटे से कस्बे देउलंद में हुई. वर्ष 2014 में उन्होंने राजस्थान की वनस्थली यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस से बीटेक की डिग्री ली. इसके बाद इंडियन एयरफोर्स की परीक्षा पास की. 25 साल की अवनी ने हैदराबाद एयर फोर्स एकेडमी में अपनी ट्रेनिंग पूरी की.

बचपन से ही आर्मी की बातों में दिलचस्पी रखने वाली अवनी इस सेक्‍टर की हर चीज के बारे में काफी बारीकी से जानने की कोश‍िश करती थी. अवनी को किसी खतरे से डर नहीं लगता. हर परिस्थिति का सामना करने के लिए वह तैयार रहती है.

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18 जून, 2016 को महिला फाइटर पायलट बनने के लिए पहली बार तीन महिलाओं अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावनाकंठ को वायुसेना में कमीशन किया गया था. अवनी के साथ बाकी दोनों महिला पायलटों को भी लड़ाकू विमान उड़ाने का प्रशिक्षण दिया गया. केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में महिलाओं को फाइटर पायलट में शामिल करने का फैसला किया था.

कॉलेज में पढ़ाई के दौरान अवनी को फ्लाइंग क्लब में विमान में उड़ने का मौका मिला. विमान में उड़ान भरने के रोमांच ने उनके मन में पायलट बनने का जोश भर दिया. उन्होंने तय कर लिया कि वह भारतीय वायुसेना में पायलट बनेंगी.

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वायुसेना में बतौर फाइटर प्लेन पायलट कमीशन मिलने पर अवनी ने कहा था, ‘हर किसी का सपना होता है कि वह उड़ान भरे. अगर आप आसमान की ओर देखते हैं, तो पंछी की तरह उड़ने का मन करता है. आवाज की स्पीड में उड़ना एक सपना होता है और अगर ये मौका मिलता है, तो एक सपना पूरे होने के सरीखा है.’

चेस, टेबल टेनिस खेलने के अलावा स्केचिंग और पेंटिंग में दिलचस्पी रखने वाली अवनी का कहना है कि उन्हें अपने सपने को पूरा करने में परिवार के सभी सदस्यों का भरपूर समर्थन मिला. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि ‘मिग-21 बाइसन’ सबसे ज्यादा लैंडिंग और टेक-ऑफ स्पीड के लिए जाना जाता है.

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अभी तक भारतीय वायुसेना में महिलाएं केवल ट्रांसपोर्ट विमान और हेलीकॉप्टर ही उड़ा सकती थीं. इसके पहले, ब्रिटेन, अमेरिका, इस्राइल और पाकिस्तान में महिलाओं को फाइटर प्लेन उड़ाने की अनुमति थी. अक्तूबर, 2015 में भारत सरकार ने महिलाओं के फाइटर पायलट बनने की राह प्रशस्त की थी.

फाइटर प्लेन को अकेले उड़ाना पूर्ण रूप से फाइटर पायलट बनने की दिशा में पहला कदम है. हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित 101 अवनी ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है.

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