राहुल गांधी ने राफेल विमान सौदे में लगाया घोटाले का आरोप, ब्योरे के खुलासे की मांग की

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने मंगलवारको एनडीए सरकार पर राफेल लड़ाकू विमान सौदा कर राष्ट्रीय हित एवं सुरक्षा के साथ सौदा करने का आरोप लगाया और कहा कि इसमें घोटाले की बू आ रही है, क्योंकि सौदे के लिए बातचीत में कोई पारदर्शिता नहीं है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस सौदे को लेकर ट्वीट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 6, 2018 7:54 PM

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने मंगलवारको एनडीए सरकार पर राफेल लड़ाकू विमान सौदा कर राष्ट्रीय हित एवं सुरक्षा के साथ सौदा करने का आरोप लगाया और कहा कि इसमें घोटाले की बू आ रही है, क्योंकि सौदे के लिए बातचीत में कोई पारदर्शिता नहीं है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस सौदे को लेकर ट्वीट के जरिये सरकार पर हमला बोला.

उन्होंने कहा, ‘ अति गोपनीय (वितरण के लिए नहीं). आरएम (रक्षा मंत्री) कहती हैं कि प्रत्येक राफेल विमान के लिए प्रधानमंत्री और उनके ‘भरोसेमंद’ मित्र के बीच हुई बातचीत एक राजकीय गोपनीयता है. ‘राहुल ने कहा, ‘कार्रवाई बिंदु.1. मूल्य के बारे में संसद को सूचित करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होगा. 2. जो भी पूछे, उसे राष्ट्र विरोधी घोषित कर दो.’ कांग्रेस अध्यक्ष ने इस ट्वीट पर हैशटैग दिया-‘बड़ा राफेल रहस्य’. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवारको इसी मुद्दे पर संवाददाताओं से कहा कि सरकार राफेल विमान का मूल्य संसद में भी खुलासा नहीं करना चाहती जिससे उसकी मंशा पर संदेह पैदा होता है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘मोदी सरकार राष्ट्रीय हित एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने के माफ नहीं किये जानेवाले खेल में लगी है. भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू विमान की खरीद में बड़े घोटाले की बू आ रही है.’

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा, ‘बड़ी आशंकाएं हैं तथा सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान होने की बात सार्वजनिक स्तर पर ज्ञात है तथा सरकार सत्य बताने से इनकार कर रही है.’ आजाद ने कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और पार्टी प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य राजीव गौड़ा की उपस्थितिवाले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि समय आ गया है कि प्रधानमंत्री को राफेल सौदे पर कांग्रेस द्वारा उठाये गये सवालों का जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस सौदे पर सरकार ने पूर्ण एवं सोची-समझी चुप्पी साध रखी है. उन्होंने आरोप लगाया कि विमान के खरीद मूल्य में पूरी तरह से अपारदर्शिता रही, रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनिवार्य प्रावधानों का उल्लंघन किया गया और कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति से पूर्व अनुमति नहीं ली गयी.

आजाद ने कहा कि सरकार को उन 36 लड़ाकू विमानों के मूल्य का खुलासा करना चाहिए जिनकी प्रधानमंत्री ने अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान निर्धारित मूल्यों की अनदेखी कर खरीद की. उन्होंने उपलब्ध सूचना के आधार पर दावा करते हुए कहा कि एनडीए के शासन काल में यह प्रति विमान 1570.8 करोड़ रुपये में खरीदा गया, जबकि यूपीए के समय में इस विमान के लिए 526.1 करोड़ रुपये पर सहमति बनी थी. उन्होंने कहा, ‘यह विमान इसी कंपनी द्वारा कतर को 694.8 करोड़ रुपये में बेचा गया, तो यह 100 प्रतिशत अधिक दाम पर भारत को क्यों बेचा गया?’ सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अनिवार्य रक्षा खरीद प्रक्रिया की अनदेखी कर 36 विमान खरीदने का निर्णय एकपक्षीय ढंग से कैसे कर लिया, जबकि उस समय फ्रांस के साथ कोई अंतर सरकारी समझौता नहीं था.