राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने का रायबरेली-अमेठी लोकसभा सीट पर क्या असर पड़ेगा?

नयी दिल्ली : राहुल गांधीदेश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिये गये. आजाद भारत में वे कांग्रेस के 19वें अध्यक्ष होंगे और 16 दिसंबर को अपनी मां सोनिया गांधी से पदभार ग्रहण करेंगे. राहुल गांधी आजाद भारत में कांग्रेस के सबसे मुश्किल दौर में उसकी कमान संभालने जा रहे हैं और […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 11, 2017 6:51 PM

नयी दिल्ली : राहुल गांधीदेश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिये गये. आजाद भारत में वे कांग्रेस के 19वें अध्यक्ष होंगे और 16 दिसंबर को अपनी मां सोनिया गांधी से पदभार ग्रहण करेंगे. राहुल गांधी आजाद भारत में कांग्रेस के सबसे मुश्किल दौर में उसकी कमान संभालने जा रहे हैं और राहुल गांधी के पार्टी के तमाम नेता व कार्यकर्ता उन्हें अपने लिए संजीवनी मान रहे हैं. कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं में यह धारणा है कि सोनिया गांधी ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में लगभग दो दशक शासन किया और अपना बेस्ट दिया और बहुत मुश्किल दौर में पार्टी को दो बार सत्ता में लायीं, कई राज्य के चुनाव भी जीतीं. सच भी है जब-जब नेहरू-गांधी परिवार का सदस्य कांग्रेस की नये सिरे से कमान संभालता है, तो पार्टी जी उठती है, उठ खड़ी होती है. यही वह वजह है कि राहुल गांधी को लेकरबड़ासे लेकरसाधारण कांग्रेसी उत्साहित है. लेकिन, इन सबसे अलग एक बड़ा सवाल यह है कि राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने से देश की सबसे हाइप्रोफाइल लोकसभा सीटों में शामिल रायबरेली और अमेठी पर क्या असर पड़ेगा?

सवाल यह भी है कि क्या रायरबेली से परंपरागत रूप से सोनिया गांधी ही चुनाव लड़ती रहेंगी और अमेठी से राहुल गांधी? या फिर इसमें कोई बदलाव होगा? राजनीतिक हलकों में यह चर्चा बारंबार उठती है कि प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाया जाये और उन्हें सिर्फ अपनी मां व भाई की सीट तक चुनाव प्रचार की जिम्मेवारी न सौंपी जाये. प्रियंका में एक राजनीतिक आकर्षण है. कांग्रेस में यह मांग भी दबे स्वर में व निचले स्तर पर उठती रही है कि प्रियंका गांधी को कांग्रेस में सक्रिय किया जाये. ऐसे में अब कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में यह फैसला मां सोनियां गांधी के साथ भाई व नये पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को करना होगा.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रियंका गांधी को राहुल गांधी के साथ सक्रिय राजनीति में पहले इस वजह से नहीं लाया गया कि क्योंकि तब वे भाई के लिए चुनौती बनती दिख सकती थीं और उनकेराजनीतिक आकर्षण के कारण उन्हें पार्टी की पूर्ण कमान देने की मांग उठ सकती थी. अब चूंकि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष होंगे तो जाहिर है कि हर किसी को उनके नेतृत्व में ही काम करना होगा और जैसे अबतक नेहरू-गांधी परिवार के किसी सदस्य के नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं खड़ा हुआ है वैसे ही राहुल गांधी के नेतृत्व पर भी सवाल खड़ा नहीं होगा.

अगर नेहरू-गांधी परिवार यह तय करता है कि प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में आयेंगी तो पार्टी को दो बड़े चेहरे मिल जायेंगे और जाहिर है, उनके लिए लोकसभा की भी एक सीट चुननी पड़ेगी. ऐसे में प्रियंका गांधी को परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली या अमेठी में कहीं से लड़ाया जा सकता है. राजनीतिक हलकों में बीते कुछ महीने से यह चर्चा है कि भविष्य में प्रियंका के राजनीति में आने पर अमेठी सीट उन्हें दी जा सकती है और मां साेनिया गांधी की सीट रायबरेली राहुल गांधी को. भाजपा के शीर्ष नेता व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेठी में अपनी तेज-तर्रार नेता स्मृति ईरानी को बीते कुछ सालों से इसी वजह से सक्रिय रखा है कि वे कभी न कभी राहुल गांधी को वहां से पराजय देंगीं. ऐसे में कांग्रेस की रणनीति के तहत प्रियंका गांधी भाजपा की स्मृति ईरानी की अमेठी में सबसे सही जवाब भी साबित हो सकती हैं.

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