अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर पिता के विचारों से असहमत हैं जयंत, यशवंत सिन्हा के आरोपों का दिया जवाब

नयी दिल्ली : वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने कल ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में लेख लिखकर सरकार पर हमला बोला था. आज यशवंत सिन्हा के बेटे और केंद्र सरकार में मंत्री जयंत सिन्हा ने टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने लेख के जरिये पिता के विचारों से असहमति जतायी है. जयंत सिन्हा ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 28, 2017 9:39 AM

नयी दिल्ली : वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने कल ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में लेख लिखकर सरकार पर हमला बोला था. आज यशवंत सिन्हा के बेटे और केंद्र सरकार में मंत्री जयंत सिन्हा ने टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने लेख के जरिये पिता के विचारों से असहमति जतायी है. जयंत सिन्हा ने कहा कि हम एक नई मजबूत अर्थव्यवस्था बना रहे हैं, जो कि लंबे समय में न्यू इंडिया के लिए फायदेमंद होगी.

जयंत सिन्हा ने लिखा कि भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर कई तरह के लेख लिखे जा चुके हैं. दुर्भाग्य से इस तरह के लेखों में कम तथ्य रहते हैं. सच्चाई यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था बदलाव की दौर से गुजर रही है. यह बदलाव संरचनात्मक बदलाव है. एक या दो तिमाही नतीजे से आप सही अनुमान नहीं लगा सकते है. इसका मूल्यांकन करने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. सरकार ने जो संरचनात्मक बदलाव किये हैं वह सिर्फ ऐच्छिक नहीं था. बल्कि एक आवश्यकता बन चुका था ताकि देश के करोड़ों लोगों को अच्छी नौकरी दिया जा सके. जो नयी अर्थव्यवस्था तैयार हो रहा है. वह ज्यादा पारदर्शी, वैश्विक रूप से कीमत प्रतिस्पर्धी और नये खोजों को बढ़ावा देने वाली अर्थव्यवस्था होगी. इस नये अर्थव्यवस्था में सभी को समान अवसर मिलेंगे और समानता को बढ़ावा मिलेगा और लोग बेहतर जीवन जी पायेंगे.

जीएसटी, विमुद्रीकरण और डिजिटल पेमेंट – ये सब गेम चेंजिग प्रयास हैं. जयंत सिन्हा ने अपने लेख में कहा है कि जो देश के नन – फार्मल सेक्टर को फार्मल सेक्टर में तब्दील किया जा रहा है. देश के कर संग्रह में बढ़ावा होगा और सरकार के पास ज्यादा संसाधन उपलब्ध होंगे. अर्थव्यवस्था में जो बाधा पहुंची है वह दूर हो जायेगा. जयंत सिन्हा ने सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि सरकार अपने नीतियों में भी पारदर्शिता बरत रही है. प्राकृतिक संसाधनों का पारदर्शी तरीके से लाइसेंस दिया गया था. कोल, स्पेक्ट्रम और उडा़न स्कीम कुछ उदाहरण है. सरकार ने दिवालिया कानून लाया अब खराब पूंजी व एनपीए से बैंकों को निजात मिलने में आसानी होगी. अगर एफडीआई को देखा जाये तो इसमें अभूतपूर्व रूप से वृद्धि हुई है. 36 बिलीयन डालर से बढ़कर 60 बिलीयन डॉलर हो गया.

देश के अधारभूत संरचनाओं को मजबूत बनाने के लिए कई तरह के काम किये जा रहे हैं. रेलवे, ग्रामीण विद्युतीकरण, नेशनल हाइवे, ग्रामीण सड़क और एयर कनेक्टिवीटी में काम किये जा रहे हैं. नेशनल इंवेस्टमेंट और इंफ्रास्ट्रक्टर फंड तैयार किया गया है. जिसकी मदद से लंबे समय भारत में व्यवसायिक इंफ्रास्ट्रक्चर के कामकाज किया जा सकेगा. 2018 तक देश में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण हो जायेगा. गांव में हर रोज 133 किमी सड़क बनाये जा रहे हैं.
एयर कनेक्टिवीटी में जबर्दस्त वृद्धि दर्ज की गयी है. 16 करोड़ यात्रियों ने 2017 में यात्रा की थी. 2014 में इसकी संख्या 10 करोड़ थी. आज भारत में प्रति किमी हवाई यात्रा की दर पांच रुपये हो गयी है जो ऑटो रिक्शे के भाड़े से भी कम है. अगर भारत अच्छा ग्रोथ हासिल करना चाहता है, तो इसे इनोवेशन हब बनना पड़ेगा. उद्यमिता व ग्लोबल इकोनॉमी बढ़ावा मिलेगा. अटल इनोवेशन मिशन से देश में उद्यमिता की नयी संस्कृति विकसित होगी. अटल इनोवेशन मिशन को 10 करोड़ रूपये दिये जायेंगे. सरकार ने मुद्रा प्रोग्राम के तहत इंडिया एस्पारेशन फंड करोड़ों रुपये का निवेश शुरू करेगा. भारत को इनोवेशन का हब बनना चाहिए.

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